आसमान में रहेंगे हल्के बादल, मौसम रहेगा शुष्क
डॉआरपीसीएयू, पूसा एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग के सहयोग से जारी 20 से 24 फरवरी, 2019 तक के मौसम पूर्वानुमान के अनुसार उत्तर बिहार के जिलों में आसमान में हल्के बादल देखे जा सकते हैं।
समस्तीपुर। डॉआरपीसीएयू, पूसा एवं भारत मौसम विज्ञान विभाग के सहयोग से जारी 20 से 24 फरवरी, 2019 तक के मौसम पूर्वानुमान के अनुसार उत्तर बिहार के जिलों में आसमान में हल्के बादल देखे जा सकते हैं। हालांकि इस अवधि में मौसम आमतौर पर शुष्क रहेगा। अधिकतम तापमान 24 से 26 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगी जबकि न्यूनतम तापमान 10 से 12 डिग्री सेल्सियस के आस-पास। पूर्वानुमानित अवधि में औसतन 7-10 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से पछिया हवा चल सकती है। सापेक्ष आर्द्रता सुबह में 80 से 90 फीसद तथा दोपहर में 50 से 55 फीसद रहने की संभावना है। यह जानकारी मौसम वैज्ञानिक डा. ए सत्तार ने दी। आज का अधिकतम तापमान: 24.0 डिग्री सेल्सियस रहा जो सामान्य से 2.7 डिग्री कम था वहीं न्यूनतम तापमान 10.5 डिग्री सेल्सियस रहा जो सामान्य से 0.4 डिग्री कम रहा।
सरसों में लाही कीट की निगरानी करें
मौसम के शुष्क रहने की संभावना को देखते हुए अगात सरसों की तैयार फसलों की कटाई, झड़ाई एवं सुखाने का कार्य करें। अगात आलू की तैयार फसल की खुदाई करें। खुदाई के 15 दिनों पूर्व ¨सचाई बन्द कर दें। आलू की फसल जो कृषक बीज के लिए रखना चाहते हैं उसकी ऊपरी लत्तर की कटाई कर दें।
पिछात बोयी गई सरसों की फसल में लाही कीड़ों के प्रकोप का अनुकुल समय चल रहा है। अत: सरसों में इस कीट की निगरानी करें। यह सुक्ष्म आकार का कीट है, जो पौधो पर स्थायी रुप से चिपके रहते है एवं पौधों की जड़ो को छोड़कर शेष सभी मुलायम भागों, तने व फलीयों का रस चुसते है। ये कीट मधु-स्त्राव निकालते है, जिससे पौधे पर फंगस का आक्रमण हो जाता है तथा जगह-जगह काले धब्बे दिखाई देते है। ग्रसित पौधों में शाखाएं कम लगती है। पौधे की वृद्धि रूक जाती है। पौधे पीले पड़कर सुखने लगते है। फलियां कम लगती है तथा तेल की मात्रा में भारी कमी आती है। इस कीट से बचाव के लिए डाईमेथिएट 30 ईसी दवा का 1.0 मिली प्रति लीटर पानी की दर से घोल कर समान रुप से फसल में छिड़काव करें।
प्याज में भी करें थ्रिप्स कीट की देख-रेख
प्याज की फसल में थ्रिप्स कीट की देख-रेख करें। यह प्याज को नुकसान पहुंचानेवाला मुख्य कीट है। तापमान में बढ़ोत्तरी के साथ-साथ फसल में इस कीट की सक्रियता में वृद्धि होती है। यह आकार में अतिसुक्ष्म होता है तथा पत्तियों की सतह पर चिपक कर रस चुसता है। जिससे पत्तियों का ऊपरी हिस्सा टेढ़ा-मेढा हो जाता है। पत्तियों पर दाग सा दिखाई देता है जो बाद में हल्के सफेद हो जाते हैं। जिससे उपज में काफी कमी आती है। थ्रीप्स की संख्या फसल में अधिक पाये जाने पर प्रोफेनोफॉस 50 ईसी दवा का 1.0 मिली प्रति लीटर पानी या इम्डिाक्लोप्रिड दवा का 1.0 मिली प्रति 4 लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव करें।
गरमा मक्का की बुआई के लिए करें निचली भूमि का चयन
पिछले कई वर्षो से अप्रैल-मई माह में तापमान में काफी वृद्धि देखी गई है। इसको देखते हुए किसान भाई गरमा मक्का की बुआई के लिए वैसी निचली भूमि का चयन करें जहां ¨सचाई की सुविधा निश्चित हो सके। गरमा मक्के की बुआई करें। जुताई से पूर्व खेतों में प्रति हेक्टेयर 10-15 टन गोबर की खाद, 50 किलोग्राम नेत्रजन, 40 किलोग्राम स्फुर एवं 30 किलोग्राम पोटास का व्यवहार करें। बुआई के लिए सुवान, देवकी, गंगा 11, शक्तिमान 1,2,3,4 एवं शक्तिमान 5 किस्में अनुशंसित है। बीज दर 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से व्यवहार करें। प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम थीरम या कैप्टाफ द्वारा उपचारित कर बुआई करें। बुआई से पूर्व मिट्टी में पर्याप्त नमी की जांच अवश्य कर लें।