कला, संस्कृति एवं युवा विभाग की रही दिलचस्पी, उदासीन रहा स्थानीय प्रशासन
दलसिंहसराय में पांडव स्थान के विकास को लेकर कला संस्कृति एवं युवा विभाग ने जनवरी 2019 में दिलचस्पी दिखाई थी। तत्कालीन जिलाधिकारी अंचलाधिकारी और प्रखंड विकास पदाधिकारी को पत्र जारी कर कहा था कि पांड़ पंचायत स्थित पुरातात्विक स्थल अवशेष को सुरक्षित करने के लिए प्रस्ताव दें।
समस्तीपुर । दलसिंहसराय में पांडव स्थान के विकास को लेकर कला, संस्कृति एवं युवा विभाग ने जनवरी, 2019 में दिलचस्पी दिखाई थी। तत्कालीन जिलाधिकारी, अंचलाधिकारी और प्रखंड विकास पदाधिकारी को पत्र जारी कर कहा था कि पांड़ पंचायत स्थित पुरातात्विक स्थल अवशेष को सुरक्षित करने के लिए प्रस्ताव दें। इसके लिए पांडव स्थान सहित सार्वजनिक स्थल पर आपत्ति अधिसूचना चस्पा करने का भी निर्देश दिया था। साथ ही, निर्धारित दो माह की अवधि में प्राप्त आपत्ति पर अपना मंतव्य के साथ रिपोर्ट जिलाधिकारी को 15 दिनों के अंदर देने को कहा था। स्थानीय प्रशासन ने एक माह बाद 26 फरवरी 2019 को इससे संबंधित अधिसूचना का प्रकाशन पंचायत भवन में करने को लेकर पत्र जारी कर अपना काम खत्म कर लिया। अब आठ माह बीतने के बाद भी इसको लेकर आगे कुछ नहीं होना स्थानीय प्रशासन की उदासीनता को दर्शाता है।
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बिहार गजट में भी मिल चुका है पांडव स्थान को प्राचीन पुरातात्विक स्थल का दर्जा
ऐतिहासिक पांडव स्थान जो आज पर्यटकों के लिए एक खास स्थान रखता, वह प्रशासनिक स्तर पर हुई लापरवाही के कारण कहीं खो गया है। बिहार सरकार ने भी उत्खनन से प्राप्त अवशेषों की जांच में पाया कि यह स्थल सन 1500 ई. से 6200 ईसा पूर्व तक की विभिन्न छह कालखंडों की कहानी कहती है। बिहार सरकार ने असाधारण गजट में इस स्थल को प्राचीन पुरातात्विक स्थल का दर्जा दे चुकी है। इसे सुरक्षित करने को लेकर कला संस्कृति एवं युवा विभाग उत्खनन स्थल के आसपास के भूस्वामियों से दावा एवं आपत्ति की मांग की थी। इस संबध में एसडीओ विष्णुदेव मंडल ने बताया कि इससे संबंधित रिपोर्ट जिलाधिकारी एवं कला संस्कृति एवं युवा विभाग को भेज दी गई है।
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सेवा यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री ने की थी घोषणा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दो मई 2012 को अपनी सेवा यात्रा के दौरान पांड़ में इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने पांडव उत्खनन स्थल का मुआयना करते हुए इस पौराणिक और ऐतिहासिक स्थल से मिली वस्तुओं का अवलोकन भी किया था।
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इतिहासकारों की नजर से पांडव स्थान का महत्व पांड़ स्थित पांडव डीह अपने आप में इतिहास की अमूल्य संपदा है। इसका अध्ययन हमारे कॉलेज के छात्र-छात्राओं के साथ-साथ अन्य कॉलेजों के छात्र करते हैं। काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान पटना ने वर्ष 2015 में पांडव डीह का अध्ययन करने का अवसर आरबी कॉलेज को दिया था। पांडव स्थान के अलावा आस-पास के कई क्षेत्र हैं, जिसका संबंध पांडव स्थान से जुड़ा हुआ है। अगर, यहां म्युजियम की स्थापना कर दी जाए तो पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
-संजय झा, इतिहास विभागाध्यक्ष, आरबी कॉलेज, दलसिंहसराय
------------------- पांडव स्थान में इतिहास की असीम संभावनाएं छिपी हैं। यहां उत्खनन से प्राप्त वस्तुएं पटना के संग्रहालय की शोभा बढ़ा रही हैं। सेवा यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री की घोषणा के साथ अगर इस स्थान को खोदाई कर संग्रहालय का निर्माण कराया गया होता तो आज यह अपनी अलग पहचान रखती। आसपास के लोगों के रोजगार का साधन होता ही, नई पीढ़ी को इतिहास को समझने का बेहतर अवसर भी मिलता। आज सिर्फ रट्टामार पद्धति से इतिहास को समझने को मजबूर हैं।
संजीव कुमार संजू, सहायक प्रोफेसर इतिहास विभाग, बीएन मंडल विश्वविद्यालय मधेपुरा।