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अस्पतालों का कचरा मानव जीवन के लिए खतरा : डीएम

शहर के नगर भवन में शनिवार को जीव चिकित्सा अपशिष्ट पर प्रशिक्षण सह जागरूकता कार्यशाला आयोजित हुई। अध्यक्षता जिलाधिकारी चंद्रशेखर ¨सह ने की।

By JagranEdited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 11:28 PM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 11:28 PM (IST)
अस्पतालों का कचरा मानव जीवन के लिए खतरा : डीएम

समस्तीपुर । शहर के नगर भवन में शनिवार को जीव चिकित्सा अपशिष्ट पर प्रशिक्षण सह जागरूकता कार्यशाला आयोजित हुई। अध्यक्षता जिलाधिकारी चंद्रशेखर ¨सह ने की। कार्यशाला को संबोधित करते हुए डीएम ने कहा कि अस्पतालों का कचरा मानव जीवन के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि अस्पतालों के कचरों का सही ढ़ंग से निपटान करने से संक्रमण दूर कर स्वच्छ रखा जा सकता है। सिविल सर्जन डॉ.विवेकानंद झा ने कहा कि जीव चिकित्सा अपशिष्ट मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए घातक हो सकता है। बायो मेडिकल वेस्ट फेंकने से पहले सावधानी बरतने की जरूरत है। अस्पताल, क्लीनिक, नर्सिंग होम, डिस्पेंसरी, ब्लड बैंक, पैथोलॉजिकल लैब से उत्पन्न जैविक कचरा काफी खतरनाक है। सीएस ने सभी प्राइवेट अस्पताल, नर्सिंग होम और जांच घर के संचालकों से जीव चिकित्सा अपशिष्ट का अनाधिकृत एवं अव्यवस्थित निपटान को रोकने की सलाह दी। कार्यशाला में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद पटना के वैज्ञानिक डॉ. नवीन कुमार ने अस्पताल, नर्सिग होम, क्लीनिक आदि के कचरा प्रबंधन और निपटान के विभिन्न ¨बदुओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। उन्होंने अस्पतालों के कचरा के निपटान के लिए जीव चिकित्सा अपशिष्ट (प्रबंधन एवं हथालन) नियम 1988 के प्रावधान की चर्चा करते हुए कहा कि अस्पतालों के कचरों का निपटान सही तरीके से नहीं होने से दूरगामी दुष्परिणाम हो सकते हैं। इससे मानव जीवन, अन्य जीव एवं पर्यावरण प्रभावित हो सकते हैं। साथ ही कहा कि सभी जांच केंद्रों में इफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) लगाना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि पटना में इसका अनुपालन नहीं करने वाले 200 अस्पतालों को बंद करने के लिए नोटिस जारी किया गया है। उन्होंने प्लास्टिक कचरा से होने वाले दुष्परिणाम की चर्चा करते हुए प्लास्टिक के सही तरीके से निपटान की जानकारी दी। कहा कि 40 माइक्रोन से कम मोटाई के प्लास्टिक कैरी बैग का उपयोग प्लास्टिक वेस्ट अपशिष्ट नियम 2011 के अंतर्गत प्रतिबंधित है। मेडिकल कचरा के उठाव को लेकर भी जांच की जा रही है। इसके लिए कैरी बैग पर बार कोड लगाया जाएगा। जिससे ऑनलाइन अपडेट जानकारी मिल सकेंगी। साथ ही अस्पताल और जांच घर के संचालकों को भी रिपोर्ट तैयार रखना होगा। मेडिकेयर बायो मेडिकल वेस्टेज के यूनिट हेड राजीव कुमार ने जीव चिकित्सा अपशिष्ट के संबंध में चर्चा की। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर में अवस्थित जीव चिकित्सा अपशिष्ट के निपटान के लिए कॉमन ट्रीटमेंट फैसिलिटी का संचालन किया जा रहा है। जिले के नर्सिग होम, अस्पतालों, क्लीनिक से उत्पन्न जीव चिकित्सा अपशिष्ट ले जाकर उसका ट्रीटमेंट किया जाता है। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के क्षेत्रीय पदाधिकारी डॉ. दिनेश कुमार ने ई-वेस्ट के दुष्परिणामों की चर्चा करते हुए इसके निपटान हेतु प्रावधानों की चर्चा की। उन्होंने बताया कि ई-कचरा को घरेलू कचरा में नहीं फेंके। उन्हें मेडिकेयर कंपनी के सर्विस और कलेक्शन सेंटर पर वापस करने का अनुरोध किया ताकि उसका निपटान सही तरीके से हो सके और उपयोग किये गए हानिकारक पदार्थो से पर्यावरण की क्षति को रोका जा सके। मौके पर अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सियाराम मिश्रा, अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी (गैर संचारी रोग) डॉ. शिवनाथ शरण, उपाधीक्षक डॉ. राणा विश्वविजय ¨सह, डॉ. अरुण कुमार महतो, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अर¨वद कुमार, डॉ. फुलेश्वर प्रसाद ¨सह, डॉ. डीके मिश्रा, डीपीएम सौरेंद्र कुमार दास, डीपीसी आदित्य नाथ झा, मेडिकेयर के सानू कुमार, डॉ. सत्येंद्र कुमार, मो. हसनैन, मो. शहजाद अहमद, भरत कुमार, पंकज कुमार, रौशन कुमार, बीएन मल्लिक, अजीत कुमार आदि उपस्थित रहे।

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