ब्रज व बरसाने से अलग धमौन में छतरी होली की रही धूम
शाहपुर पटोरी में परंपरागत उल्लास के साथ धमौन में छतरी होली धूमधाम से मनाई गई। इस होली में गांव के बच्चे महिलाएं व पुरूष काफी संख्या में शामिल हुए। अपने अराध्य देव स्वामी निरंजन के पवित्र स्थान पर एकत्र होकर घंटों रंग और गुलाल उड़ाते रहे।
समस्तीपुर । शाहपुर पटोरी में परंपरागत उल्लास के साथ धमौन में छतरी होली धूमधाम से मनाई गई। इस होली में गांव के बच्चे, महिलाएं व पुरूष काफी संख्या में शामिल हुए। अपने अराध्य देव स्वामी निरंजन के पवित्र स्थान पर एकत्र होकर घंटों रंग और गुलाल उड़ाते रहे। हारमोनियम की ताल और ढोलक की थाप पर सारी रात फगुआ के गीत ग्रामीण गाते रहे। होली के दिन दोपहर से ही सारे लोग अपने-अपने मुहल्ले के सुसज्जित छतरियों के नीचे एकत्र हो गए तथा फगुआ के गीत गाते हुए टोली के साथ सभी सड़क पर निकल पड़े। लोगों की टोली पूरे गांव में होली खेलते हुए स्वामी निरंजन स्थान तक पहुंची, जहां पर होली की धूम मची रही। रंग-गुलाल के साथ लोग होली खेलने के बाद देर रात धमौन के महादेव स्थान पर पहुंचे और वहां इस समारोह का अंत कर चैतावर गाते हुए होली का समापन किया। इस होली को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आये और होली का आनन्द उठाया। ज्ञात हो कि यह होली सदियों से मनाई जाती है जिसमें लगभग तीन दर्जन बांस की बड़ी-बड़ी छतरी बनायी जाती है। जिसे लगभग एक महीने पहले से तैयार किया जाता है। इस छतरी की भरपूर सजावट की जाती है तथा प्रत्येक मुहल्ले की छतरियों की सजावट में इस बात का होड़ होता है कि किसकी छतरी अधिक सुंदर है। गांव में ऐसी परम्परा है कि आराध्य देव स्वामी निरंजन जी को पहला रंग और गुलाल चढ़ाया जाता है, घर में बने पुए-पकवान का भोग भी सर्वप्रथम उन्हीं को लगाया जाता है। उसके बाद ही विधिवत होली की शुरूआत गांव में होती है। इस होली की महत्ता क्षेत्र में काफी पुरानी है। बरसाने और ब्रज की होली से इसकी महत्ता पूरे क्षेत्र में थोड़ी भी कम नहीं है। इस वर्ष लगभग 50 छतरियों का निर्माण कराया गया था। छतरी में लगी घंटी की आवाज से पूरा माहौल मनोरम बन गया था।