देवी मंदिरों व घरों में कन्या पूजन, महिलाओं ने भरा मां का खोईंछा
वासंतिक नवरात्र के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा-अर्चना और कन्या पूजन किया गया। श्रद्धालुओं ने माता को पुष्प धूप दीप नारियल चुनरी प्रसाद अर्पित किया।
समस्तीपुर । वासंतिक नवरात्र के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा-अर्चना और कन्या पूजन किया गया। श्रद्धालुओं ने माता को पुष्प, धूप, दीप, नारियल, चुनरी, प्रसाद अर्पित किया। महिलाओं ने निर्जला व्रत रखा एवं परिवार के सुख-समृद्धि की कामना की। इस दौरान लोग कोविड गाइडलाइन व शारीरिक दूरी का पालन करते नजर आए। आज नवरात्र के महानवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाएगी। शहर के सटे दुधपुरा स्थित पूजा स्थल में महाअष्टमी को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए विधि- विधान से कन्या पूजन किया गया। शारीरिक दूरी बनाकर श्रद्धालुओं को माता के दर्शन कराए गए। महिलाओं ने खोईछा भरकर भगवती से सुख समृद्धि की कामना की। कोरोना संक्रमण को लेकर पूजा कमेटी की ओर पूजा पंडालों में सभी तैयारियां की गई है। जिससे सरकार के निर्देशों की अवहेलना न हो।
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नवमी को हवन यज्ञ की तैयारी
नवरात्र के अंतिम दिन नवमी को नव देवियों की पूजा अर्चना होती है। माता के नौवें रुप सिद्धिदात्री होती है। इसलिए सिद्धिदात्री की पूजा श्रद्धालु करेंगे। इसके साथ ही नौ दिनी दुर्गा पूजा अनुष्ठान संपन्न हो जाएगा। अगले दिन विजयादशमी को भक्त मां की विदाई करेंगे। पूजा स्थल पर महानवमी को ध्वजारोहण व हवन यज्ञ की तैयारी चल रही है। श्रद्धालु भक्ति भाव से माता की आराधना में जुटे हैं।
माता के आठवें स्वरूप की हुई विधि-विधान से पूजा
हसनपुर : नवरात्रि की अष्टमी तिथि की बहुत बड़ी महत्ता है। बाजार के मछुआ पट्टी स्थित चैती दुर्गा मंदिर, देवड़ा गांव के दुर्गा मंदिर के साथ साथ अन्य ग्रामीण क्षेत्रों के मंदिरों में भक्तों ने मंगलवार की सुबह मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा-अर्चना की। जानकर लोगों का बताना है कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब महागौरी की उत्पत्ति हुई उस समय उनकी उम्र आठ साल थी। इसलिए इनकी पूजा अष्टमी के दिन की जाती है। ये देवी सदा सुख और शांति देते हुए अपने भक्तों के लिए यह अन्नपूर्णा स्वरूप है। इसलिए मां के भक्त अष्टमी के दिन कन्याओं का पूजन और सम्मान करते हुए महागौरी की कृपा प्राप्त करते हैं। यह भी मान्यता है कि महागौरी की पूजा करने से लोगों के पापों का नाश होता है। महागौरी ने घोर तपस्या कर गौर वर्ण प्राप्त किया था। अत: इन्हें उज्जवल स्वरूप की महागौरी धन, ऐश्वर्य देने वाली, तीनों लोक में पूजी जाने वाली मंगला मूर्ति, मानसिक और सांसारिक ताप का हरण करने वाली माता महागौरी का नाम दिया गया है। बता दें कि इस वर्ष भी कोरोना महामारी को लेकर सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन का पालन करते हुए पूजा समिति द्वारा किसी तरह का सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया है। इस वजह से इस साल थोड़ा उत्साह कम है।