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मुझे अपने पुत्र की शहदात पर गर्व है : सुधीर सिंह

समस्तीपुर। गलवान सीमा पर शहीद हुए अमन के पिता सुधीर सिंह को अपने पुत्र की शहादत पर गर्व है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 10:47 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 10:47 PM (IST)
मुझे अपने पुत्र की शहदात पर गर्व है : सुधीर सिंह

समस्तीपुर। गलवान सीमा पर शहीद हुए अमन के पिता सुधीर सिंह को अपने पुत्र की शहादत पर गर्व है। वहीं गौरवांन्वित है पूरा परिवार जिसने अपने होनहार पुत्र को मां भारती की रक्षा में खोया है। भले ही आज पहली पुण्य तिथि पर पिता, माता, पत्नी एवं भाई की आंखें नम है, परंतु हौसले बुलंद है। अमन के पिता सुधीर सिंह बताते है कि मुझे गर्व है कि मेरा पुत्र देश का काम आया। अमन पंसद अमन को भी देश सेवा ही पसंद था। अमन की पत्नी मीनू देवी अपने शहीद अमन की पहली बरसी पर उसके सुहाग उजड़ने का गम जरुर सता रहा है कितु उसे भी अपने पति के बलिदान पर गर्व है। बताती हैं कि मेरा अमन आज भी मेरे सामने है। वहीं माता रेणु देवी की ममता अवश्य पुत्र वियोग में विलाप कर रही है। कितु उसे बलिदानी बेटे का मां होने का गर्व है। कहती है मेरे लाल के शहादत से तो पूरा देश गौरवांन्वित है इससे ज्यादा एक मां के लिए क्या हो सकता है। बताते चलें कि सुलतानपुर के अमन कुमार सिंह भारतीय सेना में बिहार रेजिमेंट मे बहाल थे। जिन्होंने गलवान घाटी मे अपनी चीनी सेना के साथ हुई एक भिडंत में शहीद हो गए परंतु भारत की शान को झुकने नही दिया था। अमन भैया को दूंगा सच्ची श्रद्धांजलि

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अमन के शहीद होने के बाद सरकारी स्तर पर उसके भाई रोहित कुमार को भारतीय सेना में नौकरी मिली है। रोहित बताता है कि मुझे अमन भैया की शहादत पर गर्व है। मुझे उस दिन का इंतजार है जब मैं अपनी सेवा काल में एक बार गलवान घाटी पहुंच कर देश की सेवा करूं और इस धरती को नमन कर भैया के सपनों को पुरा करुं।

सरकार की ओर से मिली सहायहता और नौकरी अमन के शहादत के बाद सरकारी और गैर सरकारी स्तर पर कई वादे किए गए थे। अमन के पिता सुधीर सिंह बताते हैं कि सरकार ने अपनी सभी वादे पूरी कर दी। अमन द्वार और सड़क का निर्माण हुआ वहीं मेरे पुत्र रोहित कुमार को अमन के पद पर ही नौकरी दे गई। जबकि अमन की पत्नी और मेरी पुत्रवधु को मोहिउदीननगर के अंचल में नौकरी देकर केन्द्र और राज्य सरकार ने अपने सभी वादे पूरी कर दी है। अमन के पिता को सरकार से कोई गिला शिकवा नहीं है। कहते है कि काश अगर मेरे एक दो और संतान होते तो में उसे भी भारतीय सेना में ही भेजकर गौरवान्वित होता।


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