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दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए किसान सराहना के पात्र

कोरोना वायरस की महामारी के कारण लॉकडाउन किए जाने के बावजूद मिथिला उत्पादक उत्पादक सहकारी संघ किसानों के साथ लगातार बना रहा। सुधा दूध आम लोगों को निरंतर उपलब्ध कराते रहा है। आज देश में दुग्ध का उत्पादन काफी बढ़ा है। इसके लिए पशुपालक बधाई के पात्र हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 01 Jun 2020 11:11 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jun 2020 11:11 PM (IST)
दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए किसान सराहना के पात्र
दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए किसान सराहना के पात्र

समस्तीपुर । कोरोना वायरस की महामारी के कारण लॉकडाउन किए जाने के बावजूद मिथिला उत्पादक उत्पादक सहकारी संघ किसानों के साथ लगातार बना रहा। सुधा दूध आम लोगों को निरंतर उपलब्ध कराते रहा है। आज देश में दुग्ध का उत्पादन काफी बढ़ा है। इसके लिए पशुपालक बधाई के पात्र हैं। यह बात मिथिला मिल्क यूनियन के एमडी धर्मेद्र कुमार श्रीवास्तव ने कही। वे विश्व दुग्ध दिवस पर आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारे देश में प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन 394 ग्राम दूध की उपलब्धता है। देश में वर्ष- 2018-19 में 18.775 करोड़ टन दूध का उत्पादन हुआ जो पिछले वर्ष की तुलना में 6.5 प्रतिशत अधिक है। संघ के सभाकक्ष में संघ के अध्यक्ष उमेष राय एवं निदेशक मंडल के सदस्य राजीव कुमार मिश्रा की उपस्थिति में सामाजिक दूरी का पालन करते हुए कार्यक्रम आयोजित किया गया। प्रबंधक निदेशक ने विश्व दुग्ध दिवस पर सभी पशुपालकों को इसके लिए बधाई देते हुए कहा कि पशुपालकों के प्रयासों से ही भारत विश्व में दुग्ध उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। हमें प्रति पशु दुग्ध उत्पादकता की मात्रा को बढाने के लिए अग्रसर रहना पडे़गा। प्रबन्ध निदेषक ने कोरोना वायरस (कोविड-19) के लॉकडाउन अवधि में अपने सभी पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों का ससमय कार्य करने के लिए भूरी-भूरी प्रशंसा की। बिहार चैप्टर के माध्यम से मिथिला दुग्ध संघ में इस कार्यशाला को आयोजित किया गया और इसमें चर्चा के क्रम में यह बात निकलकर आया कि दुग्ध संघों के द्वारा ग्रामीण स्तर पर स्वरोजगार उत्पन्न करने की सबसे स्थापित रूप से पशुपालन को बढ़ावा देकर ही किया जा सकता है। इस महामारी के दौर में बिहार एवं देश के सभी संघों ने पशुपालकों द्वारा पूर्ण उत्पादित दूध का संग्रहण किया एवं उनका भुगतान भी ससमय किया गया। इससे गरीब एवं माíजनल पशुपालकों का सहकारिता के प्रति आस्था एवं विश्वास बढ़ा है।

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