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बारिश की वजह से कान में फैल रहा संक्रमण, बढ़े मरीज

बारिश की वजह से इन दिनों कान में फंगल इंफेक्शन के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा। हर रोज दो-चार मरीज इस पीड़ा को लेकर पहुंच रहे। प्रखंडों में भी यही स्थिति है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 12:57 AM (IST)Updated: Tue, 01 Oct 2019 12:57 AM (IST)
बारिश की वजह से कान में फैल रहा संक्रमण, बढ़े मरीज
बारिश की वजह से कान में फैल रहा संक्रमण, बढ़े मरीज

समस्तीपुर । बारिश की वजह से इन दिनों कान में फंगल इंफेक्शन के मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा। हर रोज दो-चार मरीज इस पीड़ा को लेकर पहुंच रहे। प्रखंडों में भी यही स्थिति है। इसके अलावा साइनस से पीड़ित मरीज भी काफी संख्या में सदर अस्पताल पहुंच रहे। इसमें तेज दर्द और खुजली की शिकायत आ रही है। डॉक्टर की मानें तो साइनस में संक्रमण होने या अवरोध होने से कान में हवा का दबाव प्रभावित होता है, जिससे दर्द होने लगता है। कई बार घरेलू उपचार से ठीक करने की कोशिशों में कान से जुड़ीं समस्याएं बहरेपन का कारण बन जाती हैं। ज्यादा दिन तक कान दर्द की अनदेखी करना सही नहीं। सदर अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. सैयद मेराज इमाम अंसारी ने बताया कि कान के मध्य से लेकर गले के पीछे मौजूद यूस्टेकियन ट्यूब के अवरुद्ध होने से अकसर कान में दर्द होने लगता है। कान के मध्य में सूजन या संक्रमण होने लगता है, जिससे दर्द होता है। कान में फुंसी होना, वैक्स का बहुत ज्यादा या कम बनना आदि सामान्य समस्याएं लापरवाही करने पर बहरेपन तक ले जा सकती है। कान दर्द दो तरह से होता है। एक, जब कान के बाहरी या अंदरूनी हिस्से में गड़बड़ी के कारण दर्द होता है। दूसरा, जब शरीर के अन्य हिस्से में हुई समस्या जैसे दांत में दर्द या गला खराब होने पर कान में दर्द होता है।

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ये हो सकते कारण

यूस्टेकियन ट्यूब में अवरोध : कान एक नली से नाक के पिछले व गले के ऊपरी हिस्से से जुड़ा होता है। साइनस और टॉन्सिल होने पर इसी कारण कान के भीतर दर्द महसूस होता है। कान में सूजन आ जाती है और यूस्टेकियन ट्यूब बंद होने लगती है। कान में मवाद बनने लगता है, जो कान के पर्दे को नुकसान पहुंचाता है। इसके अलावा जब महिलाएं छोटे बच्चों को करवट से लिटा कर दूध पिलाती हैं, तो कई बार दूध मध्य कान में पहुंच जाता है और संक्रमण पैदा कर देता है।

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कान में मैल जमा होना : जिन लोगों की त्वचा बहुत तैलीय होती है, उनको वैक्स की परेशानी ज्यादा होती है। ज्यादा समय तक वैक्स जमा रहने से वह सख्त हो जाता है और नली को ब्लॉक कर देता है। इस कारण कान में दर्द होता है और कम सुनाई देने लगता है।

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कान के पर्दे का चोटिल होना : कान की भीतरी ट्यूब बेहद संवेदनशील होती है। हल्का सा अधिक दबाव पड़ने पर यह ट्यूब चोटिल हो जाती है, जिससे दर्द होने लगता है। कान से पस भी निकलने लगता है। ज्यादा समय तक यह समस्या रहने से आस-पास की हड्डियां गलने लगती है। बैरोट्रॉमा की समस्या, सिर पर गंभीर चोट, बहुत तेज आवाज जैसे कारण भी पर्दे को नुकसान पहुंचाते हैं।

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कान में न जाए पानी

बरसात में सबसे ज्यादा कान में फंगस इंफेक्शन व बहने की शिकायत होती है। इस मौसम में ज्यादा ठंडा पानी न पीएं, गले में खराश, दर्द हो सकता है। साथ ही सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार होने की आशंका रहती है। भीगने से बचें। कान में पानी न जाने पाए। कान में दर्द है या बह रहा है तो ईएनटी चिकित्सक से संपर्क करें।

डॉ. सैयद मेराज इमाम

ईएनटी विशेषज्ञ, सदर अस्पताल


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