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घर-घर टीबी रोगियों की होगी खोज

टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिए सघन टीबी रोगियों की खोज के लिए एक्टिव केस फाइडिग (एसीएफ) अभियान की शुरुआत गुरुवार से हुई। अभियान को लेकर 23 अक्टूबर तक स्वास्थ्य विभाग के कर्मी घर-घर जाकर संदिग्ध टीबी मरीजों की खोज करेंगे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 11 Oct 2019 12:30 AM (IST)Updated: Fri, 11 Oct 2019 12:30 AM (IST)
घर-घर टीबी रोगियों की होगी खोज
घर-घर टीबी रोगियों की होगी खोज

समस्तीपुर । टीबी को जड़ से समाप्त करने के लिए सघन टीबी रोगियों की खोज के लिए एक्टिव केस फाइडिग (एसीएफ) अभियान की शुरुआत गुरुवार से हुई। अभियान को लेकर 23 अक्टूबर तक स्वास्थ्य विभाग के कर्मी घर-घर जाकर संदिग्ध टीबी मरीजों की खोज करेंगे। गुरुवार को समस्तीपुर शहरी क्षेत्र, जितवारपुर, दलसिंहसराय, कल्याणपुर, पटोरी, रोसड़ा, सिघिया में जांच अभियान चलाया गया। इसमें दलसिंहसराय उपकारा में भी बंदियों की जांच हुई। जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. श्रीराम प्रसाद ने बताया कि टीबी को समाप्त करने के लिए 10 से 23 अक्टूबर तक अभियान चलाया जाएगा। टीम के सदस्य घर-घर जाकर टीबी रोगियों की खोज करेंगे और जांच में रोग के लक्षण मिलने पर उनका निशुल्क उपचार कराएंगे। साथ ही, लोगों को टीबी के प्रति जागरूक भी किया जाएगा।

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टीबी मरीज को हर महीने 500 रुपये

स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी टीबी युक्त लक्षण वाले व्यक्तियों की पहचान कर उनकी जांच और उपचार की व्यवस्था उनके आवास पर ही उपलब्ध कराएंगे। इस अभियान के दौरान या अन्य किसी भी समय में टीबी की खोज किए जाने के बाद इलाज शुरू होने पर भारत सरकार की योजना निश्चय पोषण के अंतर्गत इलाज चलने तक न्यूनतम छह माह से 24 माह तक प्रत्येक माह 500 रुपये डीबीटी के माध्यम से मरीज को भुगतान किया जाएगा।

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टीबी मरीजों की खोज के लिए बनाई गई 79 टीम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2025 तक भारत को टीबी रोग से मुक्त करने के लक्ष्य के साथ जिला क्षय रोग विभाग एक बार फिर सघन टीबी रोगी खोज अभियान शुरू कर रहा। अभियान में जिले के 20 प्रखंड से लक्षित एक लाख 17 हजार 782 लोगों के स्वास्थ्य की जांच की जाएगी। अभियान को सफल बनाने के लिए जिले में कुल 79 टीम बनाई गई हैं। इसकी निगरानी भी की जा रही। टीमें घर-घर जाकर टीबी मरीजों की खोज करेंगी। अभियान में जो भी संदिग्ध मरीज मिलेगा, टीम उसका मौके पर ही नमूना लेगी। इसके बाद दूसरी सुबह खाली पेट उस मरीज के बलगम का दूसरा नमूना लिया जाएगा, जिसकी जांच जिला टीबी यूनिट में की जाएगी। टीबी रोग की पुष्टि होने के बाद मरीजों का निशुल्क उपचार शुरू होगा। इसी के साथ जो भी प्राइवेट चिकित्सक, आशा, एएनएम, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता किसी टीबी के संदिग्ध मरीज को रेफर करता है तो उनको प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।


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