जिले में डिजिटल लेन-देन की स्थिति नहीं के बराबर
नोटबंदी के एक साल पूरा होने के बाद भी जिले की स्थिति में बहुत बदलाव नहीं आया है।
समस्तीपुर । नोटबंदी के एक साल पूरा होने के बाद भी जिले की स्थिति में बहुत बदलाव नहीं आया है। एक फीसद आबादी भी अभी डिजिटल ट्रांजेक्शन नहीं कर पा रही है। बैंकों व एटीएम में भीड़ यथावत है। हालांकि एक साल पूर्व नोट बदलने और उसकी कमी के कारण उत्पन्न स्थिति पूरी तरह समाप्त हो चुकी है। डिजिटल होने में सबसे बड़ी बाधा नेटवर्क की गड़बड़ी भी है। जिले में ऐसा एक भी दुकानदार नहीं है जो पूरी तरह कैशलेस हुआ हो। बड़े-बड़े संस्थान भी पुराने ढ़र्रे में ही संचालित हो रहे हैं।
भाजपा जिलाध्यक्ष रामसुमरन ¨सह ने बताया कि देश का विकास दर बढ़ा। जाली नोट बंद हुआ। रुपये का अवमूल्य बंद हो गया। स्वस्थ बैं¨कग परंपरा की शुरूआत हुई। इससे अर्थव्यवस्था में भी सुधार हुआ। गरीबों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही है। कहा कि देश में स्पष्ट रूप से एक बदलाव हो रहा है और डिजिटल भुगतान को अपनाया जा रहा है। कहा कि देश में स्पष्ट रूप से एक बदलाव हो रहा है। बैंकों में जमा रकम में वृद्धि हुई है। सस्ती दरों पर कर्ज देने में आज बैंक सक्षम हुआ है।
बैं¨कग सेक्टर से सेवानिवृत राजेश्वर चौधरी की राय कुछ अलग है। उनका कहना है कि अर्थव्यवस्था में गुणात्मक सुधार हुआ। सरकार के खजाने में काफी धनराशि आई है। टैक्स पेयरों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। बैंकों में पब्लिक का बोझ कम हुआ है। लेकिन साइबर क्राइम पर अबतक नकेल न कसे जाने से लोग भयभीत भी रहते हैं। इस कारण डिजिटल लेन-देन को लेकर लोग खासे उत्साहित नहीं हो पा रहे हैं।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा करते हुए 500 और 1000 रुपये के प्रचलित नोटों को चलन से बाहर कर दिया था। उस समय इसे काला धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का सरकारी प्रयास बताया गया।