देवकीनंदन खत्री की जन्मस्थली को संरक्षित करने की उठी माग
समस्तीपुर। तिलस्मी रचनाओं से छाप छोड़ने वाले साहित्यकार देवकीनंदन खत्री की जन्मस्थली को संरक्षित करने की माग उठने लगी है।
समस्तीपुर। तिलस्मी रचनाओं से छाप छोड़ने वाले साहित्यकार देवकीनंदन खत्री की जन्मस्थली को संरक्षित करने की माग उठने लगी है। जनप्रतिनिधियों और साहित्यप्रेमियों ने इंटरनेट मीडिया के माध्यम से महान साहित्यकार के प्रति अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। ट्विटर के माध्यम से भी इसे प्रचारित किया जा रहा है।
जिले के चकमेहसी क्षेत्र के मालीनगर में 18 जून, 1861 को जन्मे देवकी बाबू की पुण्यतिथि पर एक अगस्त को दैनिक जागरण के अंक में एक रपट प्रकाशित की गई थी। इसमें उपेक्षित जन्मस्थल को दर्शाया गया था। इस ऐतिहासिक स्थल की जानकारी होने के बाद लोग इसके संरक्षण के लिए आवाज उठा रहे हैं।
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ऐतिहासिक स्थल की उपेक्षा पर जताई चिंता : उजियारपुर से राजद विधायक आलोक कुमार मेहता ने रपट को अपने ट्विटर एकाउंट पर टैग करते हुए राज्य सरकार से उपेक्षित ऐतिहासिक स्थल को संरक्षण देने की माग की है। उन्होंने लिखा है कि समस्तीपुर की गौरवशाली भूमि पर जन्मीं अनेक विभूतियों में से एक देवकी बाबू ने चंद्रकाता और चंद्रकाता संतति जैसी अनेक रचनाओं से दुनियाभर में नाम रोशन किया है।
साहित्यप्रेमी शशि रंजन कुमार ने भी ऐतिहासिक स्थल की उपेक्षा पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस स्थल को संरक्षित करने की माग की है। उन्होंने भी दैनिक जागरण में छपी खबर को ट्विटर पर टैग किया है। इस संदर्भ में राजदीपक ने भी आवाज उठाई है। उन्होंने मुख्यमंत्री और लालू प्रसाद को यह रपट टैग किया है। उनके ट्वीट को कई लोगों ने रिट्वीट किया है।