छात्रों की समस्या को लेकर बिहार बोर्ड के खिलाफ आंदोलन का निर्णय
विद्यापति इंटर महाविद्यालय के सैकड़ों छात्रों को परीक्षा से वंचित कर उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद महाविद्यालय का कोड की प्रस्वीकृति नहीं देने के खिलाफ क्षेत्रवासियों ने सड़क पर उतरने का ऐलान कर दिया है।
समस्तीपुर । विद्यापति इंटर महाविद्यालय के सैकड़ों छात्रों को परीक्षा से वंचित कर उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद महाविद्यालय का कोड की प्रस्वीकृति नहीं देने के खिलाफ क्षेत्रवासियों ने सड़क पर उतरने का ऐलान कर दिया है। इस ओर शुक्रवार को अभिभावकों,गणमान्य लोगों और महाविद्यालय प्रबंधन से जुड़े लोगों की बैठक हुई। महाविद्यालय परिसर में आयोजित इस बैठक की अध्यक्षता पूर्व जिला पार्षद भागवत प्रसाद ¨सह ने की। संचालन सीताराम शेरपुरी ने किया। महाविद्यालय बचाओ,बिहार बोर्ड के अध्यक्ष हटाओ के बैनर तले कॉलेजकर्मी, अविभावक, जनप्रतिनिधियों और बुद्धिजीवियों की सभा को सम्बोधित करते महाविद्यालय प्रबंधन कार्यकारिणी समिति अध्यक्ष गणेश गिरि कवि ने मैथिली में अपनी रचित कविता 'समय भयावह लागैय, बनल संस्था बर्बाद भै रहलयै, अउर छात्रों के भविष्य बर्बाद भ रहलै हन..' के जरिये महाविद्यालय से जुड़ी समस्याओं से उपस्थित लोगों को रूबरू कराया। वहीं वक्ताओं ने कहा कि महाविद्यालय में नामांकित करीब 1800 छात्रों का भविष्य बर्बाद हो गया है। बच्चों के भविष्य को देखते हुए कई बार महाविद्यालय स्तर से बिहार बोर्ड के अधिकारियों से संवाद प्रेषित कर महाविद्यालय का कोड और प्रस्वीकृति बहाल करने का निवेदन किया गया। बावजूद बिहार बोर्ड के अध्यक्ष की मनमानी के कारण परीक्षा फॉर्म की अंतिम तिथि समाप्ति के बाद भी फॉर्म भरने से छात्र वंचित रह गए। सभा के माध्यम से सरकार को चेतावनी देते हुए करो या मरो का नारा लगाकर उपस्थितों ने सत्र 2016-18 व 17-19 के छात्रों का पंजीकरण एवं परीक्षा प्रपत्र भरवाने व सत्र 18-20 के बंद नामांकन चालू कराने हेतु आगामी 2 दिसंबर को प्रखंड कार्यालय के समीप अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन और सड़क जाम का निर्णय लिया। सभा को कांग्रेस नेता धीरेन्द्र कुमार ¨सह, प्रखंड जदयू अध्यक्ष हरेश प्रसाद ¨सह, मंडल भाजपा अध्यक्ष संजय कुमार ¨सह, जिला पार्षद बालेश्वर प्रसाद ¨सह, पूर्व मुखिया अरुण कुमार झा, शिक्षाविद डॉ.सुधीर प्रसाद ¨सह, भूपेंद्र नारायण ¨सह, शैलेश प्रसाद ¨सह, उदयशंकर ¨सह, दिलीप गिरि, राम सकल कुंवर, चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ¨सह, मनोहर गिरि, मणिकांत ¨सह, चतुरानंद गिरि ने किया।