बागमती नदी खतरे के निशान से 30 सेमी उपर, भीषण कटाव
समस्तीपुर। बागमती नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 30 सेंटीमीटर ऊपर हो गया है। इससे लोगों मे
समस्तीपुर। बागमती नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 30 सेंटीमीटर ऊपर हो गया है। इससे लोगों में बाढ़ की आशंका मंडराने लगी है। नदी के कटाव से प्रखंड के क्लौंजर पंचायत के वार्ड एक त्रिमोहान से गंगोड़ा तक कई ग्रामीणों के पक्के व फूस की मकान पर बागमती का खतरा मंडरा रहा है। किसी भी समय इन मकानों का अस्तित्व बागमती की धारा में विलीन हो सकती है। आनन-फानन में लोग अपने अपने घरों का सामान बाहर हटा रहे हैं। बहुधा साह, रीतलाल साह, अनुसूचित जाति महादलित टोला के डोमन बैठा, जमीन बैठा, सुभान बैठा, त्रिमोहन के गणेश सहनी, महेश सहनी, अरुण सहनी आदि का घर कटाव के कगार पर है। मुखिया शोभा देवी, पूर्व मुखिया कैलाश सहनी ने बताया कि अपर समाहर्ता विनय कुमार राय, सीओ अभय पद दास से दूरभाष पर बात कर अविलंब कटावरोधी कार्य करवाने की मांग की गई है। पूर्व मुखिया ने बताया कि इसके पूर्व 1998 से लेकर 2017 तक बागमती की धारा में 132 परिवार के घर विलीन हो चुके हैं। अभी तक बेघर परिवारों की सुधि किसी ने नहीं ली है। दूसरी ओर बरहेता पंचायत के कमरगामा गांव वार्ड 1 ,2, 3 मे बागमती का पानी कई घरों में घुस गया। घर में घुसे पानी का दंश अरुण राय, साधु राय, शंकर ठाकुर, बैद्यनाथ ठाकुर सहित दो दर्जन अनुसूचित जाति के परिवारों के समक्ष बाढ़ की समस्या उत्पन्न हो गई है। सीओ ने बताया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में नाव भेजी गई है।
बिथान के कई निचले इलाके में फैला पानी फोटो : 28 एसएएम 21
प्रखंड क्षेत्र लगातार हो रहे बारिश से नदियों के जलस्तर में वृद्धि हो रही है। प्रखंड से गुजरने वाली करेह, कमला, कोसी नदी के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि से बिथान के लोगों को दोबारा बाढ़ की आशंका सताने लगी है। प्रखंड के बेलसंडी, नरपा, सलहाबुजुर्ग, सलहाचंदन पंचायत के दर्जनों गांव के निचले इलाके में पानी फैल गया है। लोगों को अब कहीं भी आने-जाने के लिए नाव का ही सहारा लेना पड़ रहा है। किसानों को रबी दलहन व तिलहन की चिता सताने लगी है। फसलों की बर्बादी देख मुरझाया किसानों का चेहरा फोटो : 28 एसएएम 34 उजियारपुर, संस : विगत दिनों हुई बारिश की पानी ने जहां आम जनजीवन को प्रभावित कर दिया। वहीं किसानों के फसलों की बर्बादी करके उनके चेहरे की मुस्कान छीन ली है। प्रखंड के पतैली, मालती, बेलारी, गावपुर, हरपुर रेवाड़ी आदि गांवों के किसानों के धान की फसल की बर्बादी पानी में डूब जाने से हो गई है। इन गांवों में धान की फसल परिपक्व हो गई थी। इसी बीच लगातार हुई बारिश धान की बाली पानी डूबकर अंकुरित हो गया। अब यहां के किसान फसल देखकर माथा पीट रहे हैं। जबकि सातनपुर, चांदचौर करिहारा, भगवानपुर कमला, नाजिरपुर, निकसपुर, परोरिया, बेलामेघ आदि गांव सब्जी और तंबाकू की खेती का हब माने जानवाले गांव है। यहां के किसानों पर भी बारिश की पानी ने सामत ला दिया है। इन क्षेत्रों के हजारों एकड़ खेतों में लगी किसानों के गोभी, बैगन, परवल, मूली, धनिया, प्याज और तंबाकू के फसल खेत में पानी लगने से सूख गई। यहां के किसानों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ गया है। किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। अब सरसों, गेंहू, आलू और मक्के की फसल नहीं होने की संभावना बन गई है। किसान मुकेश कुमार राय, मो फूल हसन, मो हनिफ, शंकर दास, सोनू दास, गोपाल साह, रामस्वार्थ सिंह, रामबाबू सिंह, सुनिल सिंह, अवध किशोर राय, पूर्व मुखिया राजेंद्र प्रसाद सिंह, सुनिल चौधरी, पिटू चौधरी, मनोज कुमार सिंह, कारी राम आदि किसानों ने कृषि विभाग के पदाधिकारियों से फसल क्षति का आंकड़ा लेकर मुआवजा देने की मांग की है।