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41 दिन बाद बाजार में 45 फीसद रौनक

समस्तीपुर : केंद्र सरकार द्वारा पांच सौ व एक हजार रुपये के नोट बंद किए जाने पर 41 दिन बीत गए हैं लेकिन, बाजार में अब तक मात्र 45 प्रतिशत ही रौनक लौट सकी है।

By Edited By: Published: Tue, 20 Dec 2016 03:01 AM (IST)Updated: Tue, 20 Dec 2016 03:01 AM (IST)
41 दिन बाद बाजार में 45 फीसद रौनक

समस्तीपुर : केंद्र सरकार द्वारा पांच सौ व एक हजार रुपये के नोट बंद किए जाने पर 41 दिन बीत गए हैं लेकिन, बाजार में अब तक मात्र 45 प्रतिशत ही रौनक लौट सकी है। जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनता के संबोधन में देश की आर्थिक स्थिति सु²ढ़ करने के लिए मात्र 50 दिन मांगे थे। बता दें कि केंद्र सरकार ने 8 नवंबर 2016 की रात्रि से पांच सौ एवं एक हजार रुपये के नोट परिचालन पर रोक लगा दी थी। उससे देश की आर्थिक स्थिति अचानक चरमरा गई थी। करीब 20 दिनों तक बाजार में सन्नाटा छाया रहा। लोगों को बैंक के लंबी कतारों में लगने से फुर्सत नहीं मिल रही थी। इस दौरान बाजार के व्यवसायियों को भी हाथ पर हाथ रखकर बैठना पड़ा। नोट की किल्लत झेल रहे लोगों के परिजनों को खाने के लाले पड़ गए थे। बैंक कर्मियों की खामियां हो या केंद्र सरकार की आर्थिक नीति का फेर हो। नोटबंदी से पर्याप्त मात्रा में नए नोट बाजार में आने तक लोग परेशान रहेंगे ही। खासकर नोटबंदी से यहां के व्यवसाय पर प्रतिकूल असर पड़ते देखा जा रहा है।

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कहते हैं व्यवसायी

फोटो :: 19 एसएएम 02 व 03

इस संबंध में बाजार के स्वर्ण व्यवसायी विजय स्वाईका एवं शंभू प्रसाद गोयल का बताना है कि केंद्र सरकार से नोटबंदी की घोषणा के बाद बाजार के सर्राफा व्यवसायियों की दुकानों की बिक्री में 65 से 70 प्रतिशत की गिरावट आ गई है। बैंक यदि सरकार द्वारा निर्धारित प्रति सप्ताह 24 हजार रुपये देती तो जल्द ही स्थिति सामान्य हो जाती।

फोटो :: 19 एसएएम 04

कपड़ा व्यवसायी अभिषेक कनोडिया एवं अशोक गोयल का बताना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नोटबंदी कार्य साहसिक है। मगर इससे पूर्व नए नोटों की व्यवस्था हुई रहती तो आज लोगों के बीच आर्थिक तंगी नहीं होती। नोट बंदी से कपड़ा व्यवसाय पर 60 प्रतिशत की गिरावट आ गई है। लेकिन, अब धीरे-धीरे स्थिति में सुधार आने लगी है।

फोटो :: 19 एसएएम 01

सब्जी विक्रेता विजल यादव एवं चंद्रहास पोद्दार का बताना है कि नोटबंदी के बाद से सब्जी मार्केट में भी काफी गिरावट है। लाखों रुपये की सब्जी बर्बाद हो गयी। क्योंकि लोगों के पास खुले नोट के अभाव में सब्जी की बिक्री में 45 प्रतिशत अचानक कमी आ गई थी। अब धीरे-धीरे मामला सामान्य हो रहा है।


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