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आलू, चना व मसूर की करें बुआई

समस्तीपुर। आलू की कुफरी चन्द्रमुखी, कुफरी अशोका, कुफरी पुखराज, कुफरी बादशाह, कुफरी लालीमा, कुफरी ज्

By Edited By: Published: Thu, 26 Nov 2015 12:37 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2015 12:37 AM (IST)
आलू, चना व मसूर की करें बुआई

समस्तीपुर। आलू की कुफरी चन्द्रमुखी, कुफरी अशोका, कुफरी पुखराज, कुफरी बादशाह, कुफरी लालीमा, कुफरी ज्योति तथा राजेन्द्र आलू-2 आदि अनुशंसित किस्मों की बुआई करें। गत माह के लगाए गए आलू के पौधों की ऊंचाई 15-22 सेमी हो जाने पर आलू में निकौनी कर मिट्टी चढ़ाने का कार्य करें। आवश्यकतानुसार ¨सचाई करें। चना के लिए उन्नत किस्म पूसा-256, केपीजी-59 (उदय), केडब्लूआर-108, पूसा 372 अनुशंसित हैं। बुआई से पूर्व बीज को बेबीस्टीन 2.5 ग्राम प्रति किलो ग्राम की दर से उपचारित करें। कजरा पिल्लू से बचाव हेतु क्लोरपाईरीफॉस 8 मिली प्रति किलो ग्राम की दर से 24 घंटा बाद बीज में मिलावें। पुन: 24 घंटे छाया में रखने के बाद राईजोबीयम कल्चर पांच पैकेट प्रति हेक्टेयर की दर से उपचारित करें। मसूर एवं मटर की बुआई यथाशीघ्र संपन्न करने का प्रयास करें। मसूर की अरुण, पंत एल-406, केएलएस-218, एचयूएल-57 किस्में इस क्षेत्र के लिए अनुसंशित है। सब्जियों में निकाई-गुड़ाई एवं आवश्यकतानुसार ¨सचाई करें। चारे के लिए जई तथा बरसीम की बुआई करें। जई के लिए 80-100 किलो ग्राम बीज तथा बरसीम के लिए 25-30 किलो ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर का व्यवहार करें। राई-तोरी-सरसों की बोने के 20-25 दिनों बाद प्रथम निकौनी एवं बछनी कर लें। पशुओं को रात में खुले स्थान पर नहीं रखें। पशुओं को खाने में एक चम्मच नमक का मिश्रण सुबह-शाम दें।


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