पर्याप्त स्त्रोत के बाद भी नहीं हो रहा जल संचय
सहरसा। कोसी इलाके में पर्याप्त जल स्त्रोत होने के बावजूद इच्छाशक्ति की कमी से जल संचय नहीं हो प
सहरसा। कोसी इलाके में पर्याप्त जल स्त्रोत होने के बावजूद इच्छाशक्ति की कमी से जल संचय नहीं हो पा रहा है। पूर्वजों ने जल संरक्षण के लिए तालाब, कुआं का निर्माण कराया था। तालाब, कुआं वर्षा जल के संरक्षण के लिए उपयुक्त होते थे, परंतु अब तालाब और कुआं की भी कमी हो गई है। सरकारी और निजी भवनों पर वर्षा जल संग्रहण प्रणाली को स्थापित नहीं किया गया है।
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समय की मांग है भूजल रिचार्ज
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तेजी से गिरते भूजल स्तर को देखते हुए भूजल रिचार्ज समय की मांग बन चुकी है। इसे तरजीह देना काफी फायदेमंद होगा। कोसी इलाके होने के बावजूद गर्मी के मौसम में पानी की कमी हो जाती है। मानसून के मौसम में बडे पैमाने पर वर्षा जल को गंवा दिया जाता है। सरकारी कार्यालयों, स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों में आरडब्ल्यूएच को लागू करना होगा। भवन निर्माण विभाग के निर्णय के बावजूद सरकारी भवन निर्माण में आरडब्ल्यूएच सिस्टम को नहीं अपनाया गया है। ----
वर्षा जल हो सकता सदुपयोग
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रेनवाटर हार्वेस्टिग आरडब्ल्यूएच सिस्टम केवल भू-जल को रिचार्ज करता है। जिससे वर्षा जल का संचय के साथ-साथ उसके उपयोग का लाभ मिलता है। वर्षा जल के एक हिस्से का उपयोग पीने के अलावा बगीचों में, वाटर कूलर में, वाहन वॉशिग, शौचालय के लिए किया जा सकता है। बारिश के पानी का टैंक, गड्ढों में संचय कर इसे उपयोग लायक बनाया जा सकता है। ---------------- कोसी इलाके में ग्रामीण क्षेत्रों में 15 से 20 फीट पर वाटर लेवल है। वैसे प्रखंड में अभी कहीं से चापाकलों को सूखने की शिकायत नहीं मिली है। शिकायत मिलने पर समुचित कदम उठाया जाएगा। - इंदुशेखर झा, कार्य निरीक्षक, पीएचईडी
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फोटो: 14 एसएआर 18
लोगों के लिए जल के महत्व और वर्षा जल संरक्षण के फायदों पर जागरूकता को बढ़ावा से जल संकट से बचने के साथ जल पर होने वाले खर्च से भी बचा जा सकता है। रेन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लागू करने के लिए सरकारी स्तर पर लोगों के लिए कुछ आर्थिक सहायता का प्रावधान किया जाना चाहिए। चंडी ठाकुर, समाजसेवी
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फोटो: 14 एसएआर 19
सामाजिक संस्था वर्षा जल संरक्षण के लिए प्रचार-प्रसार के प्रति जागरूक नहीं हो रहे है। वर्षा जल संरक्षण के लिए आरडब्ल्यूएच सिस्टम काफी उपयोगी है। घर निर्माण के समय इस सिस्टम को अपनाने पर पांच से 15 बीस हजार रुपये का खर्च आता है। इससे भूगर्भ वाटर लेवल बना रहेगा। जल संकट से निजात मिलेगा। संजीव कुमार झा, शिक्षक