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पैक्सों से मिलों का टैगिग नहीं होने के चलते भटक रहे किसान

सहरसा। पैक्स चुनाव के कारण सहकारिता विभाग द्वारा देर से धान खरीद का लक्ष्य तय किए जाने और जि

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 08:02 PM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 06:11 AM (IST)
पैक्सों से मिलों का टैगिग नहीं होने के चलते भटक रहे किसान
पैक्सों से मिलों का टैगिग नहीं होने के चलते भटक रहे किसान

सहरसा। पैक्स चुनाव के कारण सहकारिता विभाग द्वारा देर से धान खरीद का लक्ष्य तय किए जाने और जिला प्रशासन की लापरवाही के चलते जहां धान क्रय की प्रक्रिया में देरी हुई। वहीं अब बकाये को लेकर 151 में से 123 पैक्स और 10 में से नौ व्यापार मंडल को ही धान खरीदारी की अनुमति मिली। इन कारणों से जहां अपेक्षित रफ्तार से धान की खरीद नहीं हो सकी। वहीं जिला प्रशासन की लापरवाही से धान खरीदने वाले अधिकांश पैक्सों को मीलरों से टैगिग नहीं किया गया, जिससे एसएफसी को चावल जमा नहीं हो रहा है। चावल की राशि नहीं मिल पाने से पैक्सों के कैश क्रेडिट की चक्रीय प्रणाली प्रभावित हो रही है। राशि के अभाव में किसानों को भुगतान नहीं हो पा रहा है। इससे धान की खरीद भी प्रभावित हो रही और जिले का लक्ष्य पूरा होना बेहद ही कठिन प्राप्त हो रहा है।

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सहकारिता विभाग ने धान बेचने के बाद किसानों को 48 घंटे के अंदर भुगतान की घोषणा की थी, परंतु जिले के किसान भुगतान के लिए दर-दर भटक रहे हैं। आक्रोशित पैक्स अध्यक्ष धान जलाकर विरोध जताने लगे हैं। 35 समितियों को तीन मीलों से टैग कर दिया गया है। जबकि जिले में 28 मील कार्यरत है। शेष धान खरीदने वाली समिति मिलिग के लिए परेशान हैं।

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सहकारिता विभाग द्वारा लगातार दिए जा रहे निर्देश के बावजूद अबतक कई पैक्सों से धान खरीद प्रारंभ नहीं किया। वहीं धान खरीद कर पैक्स चावल तैयार कराने के लिए परेशान है। महिषी व्यापार मंडल अध्यक्ष जवाहर ठाकुर कहते हैं कि जब धान का मिलिग नहीं होगा तो एसएफसी समिति को राशि का कहां से भुगतान करेगा और समिति किसानों को कहां से पैसा देंगे। पड़री पैक्स अध्यक्ष हरेन्द्र खां का कहना है कि सरकार की सभी व्यवस्थाओं पर जिला प्रशासन पानी फेर रहा है। मिलरों को टैगिग करने में देर का कोई कारण समझ में नहीं आ रहा है। बरियाही के पैक्स अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि धान खरीद प्रारंभ होते ही प्रशासन को इस प्रक्रिया को पूरा कर लेना था, ताकि समितियों और किसानों को नियमित भुगतान भी होता और धान रखने के लिए गोदाम की भी समस्या नहीं होती। नियमित चक्रीय प्रणाली चलने से धान खरीद प्रभावित हो रहा है।

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समितियों से मीलरों को टैगिग करने का कार्य जिला टास्क फोर्स कमेटी की जिम्मेवारी है। विभाग द्वारा धान खरीदनेवाले समितियों की सूची प्रशासन को उपलब्ध करा दी गई है। यह कार्य जिला प्रशासन स्तर पर लंबित है।

सैयद मशरूक आलम

डीसीओ, सहरसा।


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