कोसी की जमीन थी उर्वर अब हो रही बंजर
सहरसा। हिमालय और गंगा के मध्य अवस्थित कोसी क्षेत्र की जमीन काफी उर्वर रही है। परंतु विगत व
सहरसा। हिमालय और गंगा के मध्य अवस्थित कोसी क्षेत्र की जमीन काफी उर्वर रही है। परंतु विगत वर्षों में रसायनिक खाद व कीटनाशक के अंधाधुंध प्रयोग के कारण इस क्षेत्र की बलुआही मिट्टी बंजर होती जा रही है। फलस्वरूप उत्पादन में लगातार कमी आने लगी है। यह खुलासा कृषि विभाग के मिट्टी जांच प्रयोगशाला की रिपोर्ट से हुआ है। चालू वित्तीय वर्ष में 17,500 मिट्टी नमूना संग्रह के लक्ष्य के विरुद्ध पांच फरवरी तक 13 हजार 600 नमूना संग्रह किया गया। अबतक नौ हजार 895 की जांच की गई जिसमें विभिन्न पोषक तत्वों की कमी मिली है। जांच रिपोर्ट के अनुसार इस क्षेत्र की दोमट मिट्टी की स्थिति अमूमन ठीक है। परंतु शेष भाग की मिट्टी में नाईट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, आर्गेनिक, कार्बन व पीएच की बेहद कमी मिल रही है। अगर समय रहते इसका उपाय नहीं किया गया तो आने वाले दिनों के लिए यह भूमि पूरी तरह बंजर हो सकता है।
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33 हजार भूखंड के लिए जारी किया गया मृदा स्वास्थ्य कार्ड
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मिट्टी प्रयोगशाला में एक साथ कई भूखंड का सैंपल लिया जाता है। जिसकी एकसाथ जांच की जाती है। जांच के बाद प्रयोगशाला से 33,788 भूखंड के लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड जारी किया गया है। इस कार्ड में जहां जरूरी पोषक तत्वों की कमी और खेत की प्रकृति का जिक्र किया गया है, वहीं उर्वरा शक्ति में सुधार के लिए पैदावार के लिए जरूरी 17 पोषक तत्वों में अधिकांश की कमी का जिक्र करते हुए उसके सुधार के लिए उपाय बताया गया है। जांच टीम ने इन खेतों की उर्वराशक्ति वापस लाने के लिए रसायनिक खाद का प्रयोग पूर्णत: बंद करते हुए आर्गेनिक फर्टिलाइजर जैसे गोबर की खाद, कंपोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, नैडम कम्पोस्ट व हरी खाद के अधिकाधिक प्रयोग करने की सलाह दी गई है। जांच में इस बाद का भी खुलासा हुआ है कि जिन क्षेत्रों में दोमट मिट्टी है, उसकी स्थिति ठीक है, परंतु अधिकांश बलुआही क्षेत्र के खेतों की उर्वरा शक्ति ¨चताजनक स्थिति में पहुंच गई है।
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रसायनिक खाद व कीटनाशक के प्रयोग के कारण कोसी की उर्वर भूमि बंजर होती जा रही है। जांच में यह पाया जा रहा है कि इसमें अधिकांश पोषक तत्वों की कमी हो गई है। राईजोबिया, एजेंटों वैक्टर, पीएसबी, पीएमबी जैसे बायो फर्टिलाईजर से इसमें सुधार होगा। जैविक खाद के प्रयोग से मृदा के वायु और पानी पचाने की शक्ति बढ़ती है। इसके लिए जांचोपरांत हेल्थ कार्ड जारी कर दिया गया है। इस दिशा में अगर अभी से प्रयास नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में यह कृषि से लिए बड़ा संकट बन सकता है।
अरविन्द कुमार झा,
सहायक निदेशक, रसायन
मिट्टी जांच प्रयोगशाला, सहरसा।