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मझधार में फंसी है विकास की नैया

सहरसा। यूं तो यह प्रखंड सरकार के आपदा प्रबंधन मंत्री दिनेशचंद्र यादव का गृह क्षेत्र है और इ

By JagranEdited By: Published: Mon, 05 Nov 2018 07:42 PM (IST)Updated: Mon, 05 Nov 2018 07:42 PM (IST)
मझधार में फंसी है विकास की नैया
मझधार में फंसी है विकास की नैया

सहरसा। यूं तो यह प्रखंड सरकार के आपदा प्रबंधन मंत्री दिनेशचंद्र यादव का गृह क्षेत्र है और इसी प्रखंड के सहुरिया पंचायत को सांसद पप्पू यादव ने आदर्श ग्राम घोषित कराया था। लेकिन यहां विकास की नैया मंझधार में फंसी हुई है। एक ओर जहां प्रधानमंत्री सड़क योजना से बनने वाली सड़क का निर्माण अबतक नहीं हो सका तो दो गांव को जोड़ने वाली एक अदद पुल का निर्माण चार वर्षों में पूरा नहीं हो पाया।

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जानकारी के अनुसार प्रखंड क्षेत्र के सहुरिया तरहा के बीच नदी में पुल निर्माण कार्य चार वर्ष बाद भी अधर में लटका है। जिस कारण आज भी लोगों को पांच किलोमीटर दूर प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए बीस किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है। निर्माण कार्य का समय सीमा कब का समाप्त हो गया है लेकिन पुल निर्माण नहीं हो सका। लोगों का कहना है की अब नदी का पानी किनारे आ चुका है। संवेदक एप्रोच का निर्माण करा सकते हैं। इस पंचायत को सांसद के द्वारा आदर्श पंचायत घोषित किया गया है। फिर भी पंचायत में विकास नहीं के बराबर हो रहा है। सांसद पप्पू यादव की मानें तो सांसद आदर्श गांव तो घोषित करवा दिया गया। परंतु केन्द्र सरकार से आदर्श पंचायत के लिए एक भी राशि जारी नहीं की गई। केन्द्र सरकार की यह योजना ही पूरी तरह विफल है। सहुरिया पंचायत के मुखिया मंजुदल हसन, पूर्व मुखिया सह जाप जिला अध्यक्ष अब्दुस सलाम, मधेपुरा लोकसभा के युवा कांग्रेस उपाध्यक्ष मजनू हैदर अली कैस उर्फ चुन्नू जी ने कहा कि विकास इस प्रखंड में कागजों तक ही सिमटा हुआ है। ग्रामीण मो. सफदर, मो. आलीम, मो. चुन्नू, मो. समसाद, तरहा निवासी मो. मसीर आलम, मो. सत्तार आलम, मो. मोजाहिर, मो. मुर्सीद खान, नीरज कुमार पंडित, जगदेव पंडित, राघव ठाकुर, मुरारी भगत, बिन्देश्वरी मेहता, भाकपा के अंचलमंत्री बिनय कुमार वर्मा, अभय कुमार, मनोज कुमार ¨सह, शंकर यादव, घनश्याम यादव, चक्रधर मेहता ने जिलाधिकारी से सांसद आदर्श ग्राम में विकास तेज करने की मांग की है। लोगों का कहना है कि पुल का निर्माण कार्य वर्ष 2014 मे ही प्रारंभ किया गया था। जो आजतक पूर्ण नही हो पाया है। ना तो कोई विभागीय पदाघिकारी देखने आते हैं और ना ही कोई कार्रवाई हो रही है।


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