कर्मी के सेवानिवृति के बाद बंद पड़ा है संग्रहालय
सहरसा : कोसी क्षेत्र के पौराणिक ऐतिहासिक अवशेषों को अक्षुण्ण रखने के लिए वर्ष 1998 में मत्
सहरसा : कोसी क्षेत्र के पौराणिक ऐतिहासिक अवशेषों को अक्षुण्ण रखने के लिए वर्ष 1998 में मत्स्यगंधा परिसर में स्थापित कारु खिरहरि संग्रहालय में संरक्षित चीजों का लोगों को ग्यारह वर्षों के बाद दीदार तो हुआ परंतु महज एक कर्मी के बिना इसमें एकबार फिर ताला लटक गया है। दिसम्बर माह में ही इसमें कार्यरत कर्मी सुनील कुमार चौरसिया सेवानिवृत हो गए। वे अपने भागलपुर स्थित मुख्यालय में चाबी जमा कर चले गए। उसके बाद आज तक पुरातत्व विभाग ने इसकी कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की। दूर- दूर से लोग पौराणिक- पुरातात्विक अवशेषों को देखने आते हैं, परंतु इसे बंद देखकर लोगों को निराश होकर लौटना पड़ता है।
-----------
मूर्ति चोरी होने के बाद भी ग्यारह वर्षों तक बंद रहा संग्रहालय
-----------
जिस उदेश्य से इस संग्रहालय की स्थापना की गई। ऐसा लगता है कि किसी अशुभ मुहर्त में स्थापना के कारण स्थापना काल से ही यह विडम्बना झेलता रहा। वर्ष 2005 में संग्रहालय से बुद्ध की मूर्ति चोरी हो गई। शासन- प्रशासन न तो मूर्ति की खोज तो नहीं सकी, उल्टे इसमें ताला लटका दिया। ग्यारह वर्षों के बाद 2017 में डीएम विनोद ¨सह गुंजियाल के प्रयास से इसका ताला खोला गया। एक वर्ष बाद दिसम्बर 2018 में इसके कार्यरत एकमात्र कर्मी सेवानिवृत हो गए। पर्यटन विभाग ने न तो सेवानिवृति से पूर्व इसकी वैकल्पिक व्यवस्था की और न ही सेवानिवृति के उपरांत। फलस्वरूप कोसी क्षेत्र के ऐतिहासिक- पौराणिक अवशेषों का दीदार करने में लोग असफल हो रहे हैं। इससे पर्यटन विभाग के प्रति लोगों का आक्रोश गहराने लगा है।
---------------------- संग्रहालय में रखे हैं कई महत्वपूर्ण पौराणिक अवशेष
----------- इस संग्रहालय में कोसी क्षेत्र में बौद्धकालीन, पाषाणकालीन मुगलकालीन, मुस्लिमकालीन समेत कई महत्वपूर्ण काल के सिक्के, तामपत्र, मूर्तियां व अन्य अवशेष रखे हैं। पूर्व मंत्री अशोक कुमार ¨सह के प्रयास से पटना से संग्रहालय से इन महत्वपूर्ण गौरवशाली अवशेषों को इसमें लाकर रखा गया। इसे देखने इलाके के बच्चों व आमलोगों के अलावा दूर- दूर से लोग आते थे। जो अब ठहर गया है।
--------------------------------
पुरातत्व विभाग भी है उदासीन------------ संग्रहालय की स्थापना के बाद पुरातत्व विभाग ने इलाके के महत्वपूर्ण स्थलों की खुदाई कर पाये जानेवाले दर्शनीय अवशेषों को इसमें संग्रहित करने का निर्णय लिया था। लेकिन संग्रहालय स्थापना के बाद भले ही कुछ स्थलों को संरक्षित किया गया, परंतु आजतक कहीं भी खुदाई नहीं हुई। उपर से जबतक संग्रहालय में ताला लटक जाता है। फलस्वरूप नई पीढ़ी को इस इलाके के पौराणिक ऐतिहासिक अवशेषों के विषय में जानना भी कठिन हो गया है। इस संग्रहालय के विस्तार व सौन्दर्यीरकण के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व पूर्व पर्यटन मंत्री सुनील कुमार ¨पटू द्वारा भी आश्वासन दिया गया परंतु मामला अबतक अधर में लटका हुआ है।
--------------------
संग्रहालय के देखरेख की मूल जिम्मेवारी पर्यटन विभाग की है। कर्मी के सेवानिवृति के बाद यह बंद पड़ा है। इसके लिए पर्यटन विभाग को पत्र भेजा जाएगा। उम्मीद है कि शीघ्र ही इस समस्या का समाधान होगा।
धीरेन्द्र कुमार झा
अपर समाहर्ता, सहरसा।