संजू ने अक्षरज्ञान से सैकड़ों घरों को किया रोशन
सहरसा। कहरा प्रखंड की गढि़या निवासी संजू कुमारी अपनी पारिवारिक जिम्मेवारी को निभाते हुए
सहरसा। कहरा प्रखंड की गढि़या निवासी संजू कुमारी अपनी पारिवारिक जिम्मेवारी को निभाते हुए पिछले डेढ़ दशक से लोगों को अक्षरदान दे रही हैं। उनके प्रयास से गांव और आसपास के गांव के तीन सौ से अधिक लोग साक्षर हुए। बाद में इन नवसाक्षरों में से कई लोगों ने अपना रोजगार भी प्रारंभ किया। अपने कार्यकलाप के कारण संजू अपने टोले और अगल-बगल के गांव में काफी लोकप्रिय हो चुकी हैं। उनका सामाजिक कार्य आज भी जारी है।
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नैहर से ससुराल तक जारी है संजू का अभियान
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संजू का नैहर सिमरीबख्तियारपुर प्रखंड के खजुरी पंचायत अन्तर्गत बरसम गांव में हैं। वर्ष 1988 में वह जब नौंवी कक्षा में पढ़तीं थीं, उसी समय उनके गांव में ज्ञान-विज्ञान समिति के सौजन्य से वातावरण निर्माण का कार्य चल रहा था। इस क्रम में उनकी मुलाकात अमरेंद्र कुमार और प्रो. विद्यानंद यादव से हुई। उनलोगों ने बताया कि केरल में युवा-युवतियों के प्रयास से लगभग लोग साक्षर हो गए हैं। यहां के युवा-युवतियों को भी इस अभियान में जुटना चाहिए।
प्रो. विद्यानंद यादव की बातों से प्रेरित होकर वह अपनी सहेलियों के साथ इस अभियान में जुट गई। इस क्रम में बलही, बरसम, खजुरी में लगभग निरक्षर महिला-पुरुषों को साक्षर किया। वर्ष 1989 में उनकी शादी गढि़या में मदन कुमार से हो गई। कुछ दिनों के बाद वह अपनी रूचि के अनुसार यहां भी कार्य प्रारंभ कर दिया। इस क्रम में उन्होंने खुद मैट्रिक और इंटर की शिक्षा प्राप्त की तथा निरक्षर लोगों को भी अक्षरज्ञान देना जारी रखा। इस अभियान में उन्होंने गढि़या के रजौरा, देवना टोला समेत अन्य टोलों के दो सौ से अधिक लोगों को ककहरा पढ़ाकर साक्षर किया। इन सभी लोगों ने लिखना- पढ़ना सीख लिया।
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नवसाक्षरों को समूह के माध्यम से दिलाया रोजगार
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संजू ने गढि़या पंचायत के नवसाक्षरों को इकट्ठा कर 35 समूह का गठन किया। इन समूह की महिलाओं को बैंकों के सहयोग से सिलाई प्रशिक्षण भी दिलाया। कुछ महिलाओं ने समूह के माध्यम से ऋण प्राप्त कर अपना रोजगार भी प्राप्त किया। गढि़या की रूबी देवी ने साक्षर होकर जीविका में नौकरी प्राप्त कर ली। उनका कहना है कि संजू दीदी ने न उन्हें जीने की राह दिखाई है। चंदन देवी कहती हैं कि वह सिलाई प्रशिक्षण प्राप्त कर खुद अब सिलाई कर बेहतर ढंग से अपने परिवार की परवरिश कर रही हैं। उषा देवी अदौरी बनाकर और सोमनी देवी सत्तू का व्यवसाय कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं। इन लोगों ने कहा कि संजू कुमारी ने न सिर्फ अक्षरज्ञान दिया बल्कि एक नई जिदगी भी दी है। इधर संजू का सामाजिक दायित्व जारी है। वह दहेज प्रथा, नशा उन्मूलन आदि अभियान में बढ़- चढ़कर हिस्सा ले रही हैं। गांव के लोगों को अपने-अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करती हैं। उनका कहना है कि जबतक जिदगी रहेगी, उनका यह सामाजिक कार्य चलता रहेगा।