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समय की मांग है नई शिक्षा नीति

सहरसा। करीब 34 वर्षों बाद नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा और व्यवसायिक

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 05:40 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 05:40 PM (IST)
समय की मांग है नई शिक्षा नीति
समय की मांग है नई शिक्षा नीति

सहरसा। करीब 34 वर्षों बाद नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा और व्यवसायिक शिक्षा में कई बड़े बदलाव किए गए हैं। इस नई शिक्षा नीति के तहत अब बच्चों पर बोर्ड परीक्षा का भार कम होगा। पढ़ाई बीच में छूटने पर पहले की पढ़ाई बेकार नहीं जाएगी। एक साल की पढाई होने पर सर्टिफिकेट और दो साल की पढ़ाई पूरी करने पर डिप्लोमा सर्टिफिकेट दिया जाएगा। अब छठे वर्ग से ही बच्चों को उसके स्किल एवं व्यवासायिक शिक्षा दी जाएगी। इस नई शिक्षा नीति से बच्चों को स्कूल से पढ़ाई के दौरान ही नौकरी के अवसर मिलने लगेगा। नई शिक्षा नीति 2020 को लेकर कॉलेज के प्राध्यापकों, प्लस टू स्कूल के शिक्षकों सहित छात्र प्रतिनिधियों से बातचीत की गयी तो उसमें सबों ने एक बात को स्वीकारा कि नई शिक्षा नीति समय की मांग है। शिक्षा नीति में समय-समय पर बदलाव जरूरी है।

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नई शिक्षा नीति से बच्चों में बढ़ेगी विशेषज्ञता

फोटो- 1 एसएआर-61

- इस नई शिक्षा नीति से वर्ग पांच तक के बच्चों को मातृभाषा की पढ़ाई होगी। जिससे बच्चों में संस्कार एवं स्थानीय लोक व्यवहार, परंपरा से परिचित होंगे। इससे हमारी लोक संस्कृति और अधिक समृद्ध होगी। बच्चों में विशेषज्ञता बढेगी। इस शिक्षा नीति से छात्र-छात्राओं को विषय के चुनाव की बाध्यता समाप्त हो जाएगी। आधुनिक तकनीक एवं वैज्ञानिक विकास के संसाधन उपलब्ध कराने होंगे। छात्र-छात्राओं के हित में शिक्षा नीति में यह बदलाव जरूरी था।

डा. दीपक कुमार गुप्ता, प्राध्यापक, एमएलटी सहरसा कॉलेज

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फोटो- 1 एसएआर-62

-नई शिक्षा नीति काफी उपयोगी है। बच्चों को वर्ग छठे से ही व्यवसायिक शिक्षा मिलेगी। जिससे उसके रूचि अनुसार बच्चों को आगे बढ़ने में सहुलियत मिलेगी। छठी कक्षा से ही रोजगारपरक शिक्षा छात्र-छात्राओं को मिलेगी। स्कूल में ही बच्चों को प्रोफेशनल शिक्षा दी जाएगी। लेकिन उच्च शिक्षा की नीति में ऑटोनोमी के लिए जिस तरह का प्रस्ताव रखती है, उससे शिक्षा का निजीकरण होगा।

प्रो. अशोक, प्राध्यापक, सर्व नारायण सिंह राम कुमार सिंह महाविद्यालय

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फोटो- 1 एसएआर-63

- बोर्ड परीक्षा में बदलाव से छात्र-छात्राओं को फायदा होगा। बोर्ड परीक्षाओं को लेकर छात्र हमेशा दवाब में रहते हैं और ज्यादा अंक लाने के लिए स्कूल को छोड़कर कोचिग पर निर्भर हो जाते हैं। इससे छात्र-छात्राओं का नुकसान हो जाता था। लेकिन अब भविष्य में उन्हें इसका लाभ मिलेगा।

अजय कुमार दास, शिक्षक

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फोटो- 1 एसएआर-64

- नई शिक्षा नीति से बच्चों को अपनी सांस्कृतिक विरासत एवं स्थानीयता को जानने का अवसर मिलेगा। सबसे बड़ी बात कि अब बच्चों को उसकी रूचि अनुसार पढ़ने का मौका मिलेगा। जिससे उसे मंजिल मिलने में सहुलियत होगी।

मलय कुमार, शिक्षक

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- देश में नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद अब छात्र-छात्राओं को एमफिल नहीं करना हेागा। एमफिल का कोर्स नई शिक्षा नीति में निरस्त कर दिया गया है। इस नयी शिक्षा नीति से बच्चों को बचपन से ही व्यवसायिक शिक्षा पाठ्यक्रम से जोड़ा जाएगा।

मनीष कुमार, राष्ट्रीय संयोजक, एनएसयूआई

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- नई शिक्षा नीति में तकनीक पर विशेष ध्यान दिया गया है। स्थानीय लोक संस्कृति, ऐतिहासिक विरासत, स्थानीय बोलचाल व मातृभाषा से बच्चे अवगत होंगे। कला, संगीत, शिल्प, अभिनय, खेल, योग जैसे विषयों का विकास होगा एवं इसमें दक्ष लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।

अमित कन्हैया, छात्र प्रतिनिधि, एनएसयूआई


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