अधूरा रह गया मक्का किसानों का सपना
सहरसा। कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण इस बार मक्का किसानों का सपना अधूरा रह ग
सहरसा। कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण इस बार मक्का किसानों का सपना अधूरा रह गया। हर वर्ष 18 सौ से दो हजार रुपये प्रति क्विटल मक्का बेचने वाले किसान का मक्का इसबार हजार से ग्यारह सौ रूपये प्रति क्विटल में बिक गया। किसानों की इस मजबूरी का व्यापारियों व जमाखोरों ने जमकर फायदा उठाया। किसानों का मक्का अब माटी के मोल बिक चुका है। तब मक्का का रैक सहरसा से दूसरे प्रदेशों व पड़ोसी देश में भेजकर व्यापारी मालामाल हो रहे हैं।
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हर दो दिन पर जाता है रैक
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रखरखाव के अभाव में किसानों ने महाजनों का कर्ज चुकाने और अगली खेती के लिए काफी कम कीमत पर मक्का बेच दिया। इससे उनका लागत मूल्य भी नहीं निकल पाया। जबकि अन्य वर्षों में मक्का उत्पादक इस खेती की बदौलत बेटे की पढ़ाई से लेकर बेटी की शादी तक की योजना बनाते थे। उनका यह सपना भी पूरा होता था, परंतु इस वर्ष किसानों की सारी कमाई पर जमाखोरों का कब्जा हो गया। किसान बराही के मणिभूषण सिंह कहते हैं कि फसल अच्छी हुई लेकिन कम कीमत पर बेचने की मजबूरी हो गई है। जिस कारण घर बनाने का अरमान अधूरा रह गया। मुरली के सत्तो कामत ने कहा कि सरकारी स्तर पर मक्का की खरीदगी नहीं हो रही है। कोरोना काल में मक्का की कीमत पिछले बार से काफी कम मिल रही है।
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प्रसंस्करण उद्योग के अभाव में मक्का उत्पादकों को नहीं मिल पाता लाभ
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विगत एक दशक से उद्योग विभाग व सहकारिता विभाग द्वारा कोसी क्षेत्र में मक्का प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने की चर्चा चल रही है। इस नाम पर किसान जी- जान से मक्का की खेती कर रहे हैं। अन्य वर्षों में किसानों को मक्का का उचित मूल्य भी मिल जाता था, परंतु इसबार कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन ने किसानों के मंसूबे को चूर कर दिया है। अब दोगुनी- तिगुनी कीमत पर दूसरे प्रदेश में मक्का बेचकर व्यपारी और जमाखोर चांदी काट रहे हैं।