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चुनावी शोर में दब गई कोरोना मृतक के स्वजनों की आवाज

सहरसा। जिले में कोरोना की दूसरी लहर में सैंकड़ों लोगों की मौत हुई। पहले तो स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन द्वारा इसकी संख्या को दबाया जाता रहा। राज्य सरकार द्वारा मौत के मामले की जांच कराए जाने के आदेश बाद इसकी संख्या में अचानक बढ़ोतरी होने लगी। जिले में मौत के आधार पर अनुदान के लिए साढ़े चार सौ से अधिक आवेदन पड़े।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 05:34 PM (IST)Updated: Sun, 24 Oct 2021 05:34 PM (IST)
चुनावी शोर में दब गई कोरोना 
मृतक के स्वजनों की आवाज
चुनावी शोर में दब गई कोरोना मृतक के स्वजनों की आवाज

सहरसा। जिले में कोरोना की दूसरी लहर में सैंकड़ों लोगों की मौत हुई। पहले तो स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन द्वारा इसकी संख्या को दबाया जाता रहा। राज्य सरकार द्वारा मौत के मामले की जांच कराए जाने के आदेश बाद इसकी संख्या में अचानक बढ़ोतरी होने लगी। जिले में मौत के आधार पर अनुदान के लिए साढ़े चार सौ से अधिक आवेदन पड़े।

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स्वास्थ्य विभाग ने इसमें 307 की जांच प्रारंभ किया, परंतु महज कागजातों की जांच को पांच महीने में पूरा नहीं किया जा सका। इस कार्य में बेवजह देरी की जा रही है। इस बीच में पंचायत चुनाव के बहाने जांच फिर अधर लटक में गया। मृतकों के स्वजन आपदा कार्यालय से स्वास्थ्य विभाग दौड़ कर थक रहे हैं। चुनाव का बहाना बनाकर अकारण जांच में देरी की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग की जांच रिपोर्ट के आधार पर अबतक मात्र 169 को अनुदान भुगतान हुआ है। 18 का भुगतान आवंटन के अभाव में लटका हुआ है, जबकि शेष मामला स्वास्थ्य विभाग के प्रतिवेदन के इंतजार में पड़ा है।

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निजी क्लिनिक में मृत लोगों के स्वजन को नहीं मिल रही सुविधा

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जिला प्रशासन की सूची में नौ जून 2021 तक मात्र 98 लोगों की मौत की पुष्टि हुई, परंतु जैसे ही सरकार ने मौत के दावों की जांच का निर्देश दिया, इसकी संख्या में अचानक बढ़ोतरी होने लगी। दस जून को मृतकों की संख्या 163 पर पहुंच गई। जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा कोरोना की अद्यतन सूची में मृतकों की संख्या अबतक यही है, परंतु जिन 450 लोगों का दावा पत्र प्रस्तुत किया, उसका जांच प्रतिवेदन मंथर गति से प्राप्त हो रहा है। वहीं निजी क्लिनिक जिसे प्रशासन ने कोविड सेंटर घोषित भी किया था। इन जगहों में इलाज के दौरान मृत लोगों को जिला स्वास्थ्य समिति का रिपोर्ट नहीं रहने के कारण अनुदान से वंचित किया जा रहा है। परेशान आश्रितों की सहायता के नाम पर ग्रामीण स्तर पर बिचौलिया भी सक्रिय हैं। अबतक जिले के 169 आश्रितों को आरटीजीएस के माध्यम से भुगतान किया जा सका है। आवंटन की प्रत्याशा में सभी कार्रवाई पूर्ण होने के बाद भी 18 का भुगतान लंबित पड़ा हुआ है।

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जांच के लिए आए आवेदनों को निष्पादित किया जा रहा है। पर्याप्त कागजात और सरकारी मानक पर खड़ा नहीं उतरनेवाले आवेदकों का कुछ आवेदन लंबित है। शेष आवेदनों की जांच कर शीघ्र आपदा प्रबंधन विभाग को रिपोर्ट भेज दी जाएगी।

डा. अवधेश कुमार

सिविल सर्जन, सहरसा।

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स्वास्थ्य विभाग की जांच के आधार पर ही आवंटन की मांग की जाती है। जो जांच रिपोर्ट प्राप्त हुए हैं, उसके लिए आवंटन की मांग की जा चुकी है। उम्मीद है कि शेष मामलों की शीघ्र जांच होगी। जांच प्रतिवेदन प्राप्त होते ही अग्रतर कार्रवाई की जाएगी। नीरज सिंहा

आपदा प्रबंधन पदाधिकारी, सहरसा।


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