Move to Jagran APP

तंत्र के गण.बच्चों के बीच 75 वर्षीय चंद्रशेखर जगा रहें है शिक्षा की अलख

सहरसा। कहते हैं कि अगर मन में जज्बा हो तो उम्र बाधक नहीं होती है। शहर के बटराहा निवास

By JagranEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 05:54 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 05:54 PM (IST)
तंत्र के गण.बच्चों के बीच 75 वर्षीय चंद्रशेखर जगा रहें है शिक्षा की अलख
तंत्र के गण.बच्चों के बीच 75 वर्षीय चंद्रशेखर जगा रहें है शिक्षा की अलख

सहरसा। कहते हैं कि अगर मन में जज्बा हो तो उम्र बाधक नहीं होती है। शहर के बटराहा निवासी सेवानिवृत शिक्षक 75 वर्षीय चंद्रशेखर पोद्दार बच्चों के बीच शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। वृद्ध होने के बाद भी इनका पढ़ाने का जज्बा कम नहीं हुआ है। प्रतिदिन आसपास के स्कूलों में जाकर बच्चों को निशुल्क शिक्षा दान कर रहे हैं। साथ ही बच्चों को शिक्षा के अधिकार के प्रति सजग करते है और दी जा रही शिक्षा को सबसे बड़ा हथियार बनाकर उसे देश हित में उपयोग करने की बात बच्चों को सिखाते हैं।

loksabha election banner

बच्चे शिक्षित होंगे तो राष्ट्र का होगा विकास

वे कहते हैं कि बच्चे शिक्षित होंगे तो राष्ट्र का विकास होगा और समृद्ध व शक्तिशाली राष्ट्र बनेगा। बच्चे देश के भविष्य है। इसीलिए सरकार को भी प्रारंभिक शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। वर्ष 2004 में शिक्षक से सेवानिवृति के बाद चंद्रशेखर पोद्दार शिक्षा दान कर समाज को बदलने की कोशिश में जुटे हैं। उम्र करीब 75 वर्ष रहने के बाद भी इनके जज्बे को देखकर लोग इन्हें गुरूजी के नाम से जानते हैं। सेवानिवृत होने के बाद लगातार बच्चों को निशुल्क शिक्षा देकर ये उन्हें स्कूल जाने के लिए भी प्रेरित करते हैं। शहर से सटे बरियाही स्थित मोहन साह आदर्श आवासीय मध्य विद्यालय में वर्ष 1973 से लेकर 1991 तक शिक्षक के रूप में कार्यरत रहे। स्कूल में भी इनके कार्यों की चर्चा आज भी होती है। पुस्तक व गुरू के सम्मान का संस्कार बच्चों के जीवन में भरने के अलावा वो लेखन कला के माध्यम से अपनी अलग पहचान बनायी। विद्यालय के बच्चों को गत्ता कला सिखाने के साथ-साथ स्कूल के पुस्तकालय को सुसज्जित करने में इनकी अहम भूमिका रही। जो आज भी धरोहर के रूप में स्कूल में विद्यमान है। जनवरी 2004 में स्कूल से अवकाश प्राप्त होने के बाद भी इन्होंने सदैव शिक्षा, साहित्य से जुड़कर समाज की सेवा की। वे कहते है कि शिक्षा से ही प्रगति पायी जा सकती है। शिक्षा के बिना मानव का जीवन अधूरा है। सरकार द्वारा दी जा रही प्रारंभिक शिक्षा व इसकी नीति छात्र-छात्राओं के लिए उपयोगी साबित हो रहा है।

स्काउट और गाइड से सिखाया संस्कार

चंद्रशेखर पोद्दार वर्ष 1997 से लेकर वर्ष 2003 तक भारत स्काउट और गाइड के जिला सचिव रहे। इसके बाद वर्ष 2007 से 2015 तक सचिव रहे। अबतक विभिन्न स्कूलों में 6000 से ज्यादा ही छात्र-छात्राओं को निशुल्क प्रशिक्षण देकर उन्हें संस्कारवान बनाने में इनकी अहम भूमिका रही। अब भी स्काउट एवं गाइड की ट्रेनिग एवं बच्चों को शिक्षा दान देने में लगे रहते है। इन दिनों वे अपने घर एवं आसपास के स्कूलों में जाकर बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.