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तीन दिनों से नहीं जले हैं घर में चूल्हे..

सहरसा। शहर से सटे नरियार पंचायत में मृतक मजदूरों के घर घटना के तीसरे दिन भी चूल्हे

By JagranEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 02:43 AM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 06:11 AM (IST)
तीन दिनों से नहीं जले हैं घर में चूल्हे..
तीन दिनों से नहीं जले हैं घर में चूल्हे..

सहरसा। शहर से सटे नरियार पंचायत में मृतक मजदूरों के घर घटना के तीसरे दिन भी चूल्हे नहीं जले हैं। शोक संतप्त परिवार सदमे में है। रोते-रोते परिजनों की आंखें सूख चुकी है। मजदूरों के घर परिजन मंगलवार को घर आते- जाते लोगों को बस एकटक निहार रही है लेकिन उन्हें अपने बेटे व भाई के शव का इंतजार है। दिल्ली अगलगी घटना में अपनों को खो चुके इन परिवारों को बस अंतिम इच्छा है कि मिट्टी नसीब होने से पहले एक बार उन्हें जी भर देख लें।

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नरियार के पंचायत के लोगों को कहना है कि जब मजदूरों की लाश यहां आएगी तब क्या होगा? कैसे घरवाले परिजन रह पाएंगे? यह बात लोगों को साल रहा है। लेकिन परिजन चाहते हैं कि तीन दिन पहले ही मौत हो चुकी है और अब तक लाश घरवालों को नसीब नहीं हो पा रहा है। इसीलिए दिल्ली सरकार जितना जल्दी हो, लाश सहरसा भिजवा दे। नरियार पंचायत वार्ड नंबर चार स्थित मृतक मो. अफजल के घर में चुल्हा सूना पड़ा था। घर में चूल्हे के पास रखे बर्तन ही उसकी गरीबी को बयां कर रही थी। जमा पूंजी के नाम पर घर में एक ट्रंक था। मृतक के पिता मो. आलम प्लास्टिक चुनकर अपने परिवार का गुजारा करते हैं। तीन भाईयों में सबसे बड़ा मो. अफजल अब इस दुनिया में नहीं रहा। घरवालों ने बताया कि वह तो दिल्ली पहली बार ही गया था। उसके दो छोटे-छोटे भाई मो. सलमान एवं मो. रहमान को घर में क्यों मातम छाया है उसे कुछ पता नहीं है। वह पूछने पर कहता है कि बड़ा भाई मो. अफजल पढ़ने दिल्ली गया है। यहीं हाल अन्य परिजनों का है। नरियार पंचायत में मुख्य सड़क पर ही मो. सजीमउद्दीन के घर पर लोगों के आने-जाने का तांता लगा रहा। अपने घर के आंगन में मृतक सजीमउद्दीन की पत्नी आशियाना खातून एवं उनकी बच्चियां बुत बनी बैठी रही। अब तो उनकी आंखों से आंसू भी नहीं निकल रहे थे। बस एकटक लोगों को निहार रही थी। मृतक मो. राशीद एवं मो. संजार आलम के यहां भी माहौल गमगीन था। घर का चूल्हा नहीं जला था। चूल्हे के पास बर्तन खाली पड़े थे। आसपास की औरतों ने दुख भरे स्वर में कहा कि इन लोगों ने तीन दिनों से कुछ खाया नहीं है। बस एक ही रट लगाए है कि मेरे कलेजे के टुकड़े को ला दो..। नरियार वार्ड नंबर 12 स्थित मृतक मो. फैसल आलम के घर पर लोगों की भीड़ लगी थी। हर किसी को अब फैसल के शव के आने का इंतजार था। नरियार में सात मजदूरों की अकाल मौत पर लोगों की पूरी संवेदना पीड़ित परिवार के साथ है। यही कारण है कि किसी के आने पर आसपास के लोग ही शोक संतप्त परिवार की व्यथा सुनाना शुरू कर देते हैं।


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