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विकास के लिए तरसता रह गया दियारा का इलाका

सहरसा। कोसी तटबंध के अंदर जहां लोग बाढ़ की त्रासदी से परेशान रहते हैं। वहीं पूर्वी तटबं

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 07:19 PM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 07:19 PM (IST)
विकास के लिए तरसता रह गया दियारा का इलाका
विकास के लिए तरसता रह गया दियारा का इलाका

सहरसा। कोसी तटबंध के अंदर जहां लोग बाढ़ की त्रासदी से परेशान रहते हैं। वहीं पूर्वी तटबंध से तीन किलोमीटर पूरब तक सुपौल जिले के वीरपुर से खगड़िया जिले के कबीरपुर तक सीपेजवाला एरिया हर वर्ष जलमग्न रहता है, जिसका उपयोग नहीं हो पाता है। शासन- प्रशासन की ओर से इस इलाके में मछली- मखाना का उत्पादन कर इलाके की तकदीर बदलने की दशकों से चर्चा चल रही है। कई चुनाव में इसे नेताओं द्वारा मुद्दा भी बनाया गया, परंतु इसे कार्यरूप नहीं दिया गया। दशकों से इन नाम पर वोट मांगनेवाले नेताओं को इसकी सुध ही नहीं है, जबकि इस चुनाव में भी इसे मुद्दा बनाया जा रहा है।

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लाखों एकड़ भूमि का नहीं हो पाता है उपयोग

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पूर्वी तटबंध से पूरब लाखों एकड़ भूमि सालों भर जलमग्न रहता है, जिसमें कोई खेती नहीं हो पाती। कृषि, मत्स्य व सहकारिता विभाग के माध्यम से सरकार ने इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मछली व मखाना का उत्पादन कराने की योजना बनाई। इसके लिए न सिर्फ मछली - मखाना के उत्पादन के लिए किसानों को प्रोत्साहन देने की रणनीति बनी, बल्कि प्रसंस्करण उद्योग आउटलेट आदि खोलने पर भी विचार किया गया। परंतु, इस दिशा में अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस जलक्षेत्र को शोक से वरदान में तब्दील करने की रणनीति संचिकाओं में ही पड़ी हुई है। इस दिशा में अबतक कोई कार्रवाई नहीं होने से लोगों में आक्रोश गहराने लगा है।


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