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Bihar News: दक्षिण भारत में कोसी के 'येलो गोल्‍ड' की बढ़ी मांग, पहले बांग्‍लादेश में होती थी ज्‍यादातर सप्‍लाई

कोसी इलाके में पीला सोना के रूप में पहचान बना चुकी मक्के की फसल की मांग दक्षिण भारत में भी हो रही है। सहरसा से हर सप्ताह इसकी रैक दक्षिण भारत जा रही है। इससे रेलवे का राजस्व बढ़ रहा है। पहले सहरसा से मक्का रेल मार्ग द्वारा बांग्लादेश भेजा जाता था। अब मक्का दक्षिण भारत जा रहा है। कोसी इलाके के किसानों की फसल भी हाथोंहाथ बिक रही है।

By Kundan Singh Edited By: Prateek Jain Tue, 11 Jun 2024 02:05 PM (IST)
Bihar News: दक्षिण भारत में कोसी के 'येलो गोल्‍ड' की बढ़ी मांग, पहले बांग्‍लादेश में होती थी ज्‍यादातर सप्‍लाई
दक्षिण भारत में कोसी के 'येलो गोल्‍ड' की बढ़ी मांग, पहले बांग्‍लादेश में होती थी ज्‍यादातर सप्‍लाई। (फाइल फोटो)

राजन कुमार, सहरसा। कोसी इलाके में पीला सोना के रूप में पहचान बना चुकी मक्के की फसल की मांग दक्षिण भारत में भी हो रही है। सहरसा इलाके से हर सप्ताह इसकी रैक दक्षिण भारत जा रही है। इससे रेल राजस्व भी बढ़ रहा है। पहले सहरसा से मक्का रेल मार्ग द्वारा बांग्लादेश भेजा जाता था।

अब मक्का दक्षिण भारत ही जा रहा है। कोसी इलाके के किसानों की फसल भी हाथोंहाथ बिक रही है। सहरसा रेल द्वारा पिछले दो माह के दौरान अब तक 22 रैक मक्का दक्षिण भारत के लिए भेजा जा चुका है। जुलाई माह तक पांच से सात रैक और मक्का भेजने की उम्मीद है।

पिछले वर्ष भेजा गया 24 रैक मक्का 

पिछले वर्ष सहरसा से सीजन के तीन महीनों के दौरान 24 रैक मक्का दक्षिण भारत भेजा गया था। पूर्व मध्य रेल सहरसा से रेल मार्ग के जरिये ही मक्का दक्षिण भारत के कई प्रदेशों में भेजा जा रहा है।

सहरसा के गंगजला रैक प्वाइंट व शहर से सटे सोनवर्षा कचहरी रैक प्वाइंट से मालगाड़ी रिजर्व कर इसे भेजा जा रहा है। दक्षिण भारत स्थित कर्नाटक के हीरोठ, मद्रास के नमक्कल, पंजाब के फोहारा और होशियारपुर सहित बेंगलुरु जैसे शहरों में मक्का को भेजा जा रहा है।

एक बोगी में एक हजार पैकेट

एक रैक में 42 बोगियां होती हैं। एक बोगी में एक हजार पैकेट मक्के के आते हैं। एक पैकेट 50 किलोग्राम का होता है। एक रैक में लगभग 21 हजार क्विंटल मक्का भेजा जाता है। इस सीजन में अब तक 22 रैक मक्का भेजा जा चुका है। एक रैक में लगभग चार करोड़ 41 लाख रुपये का मक्का भेजा जाता है। इस वर्ष अब तक 97 करोड़ दो लाख का मक्का भेजा जा चुका है। 

दक्षिण भारत में है मक्का आधारित प्रसंस्करण उद्योग 

दक्षिण भारत के बेंगलुरु, मद्रास एवं कर्नाटक राज्य के विभिन्न हिस्सों में मक्का से संबंधित प्रसंस्करण उद्योग स्थापित हैं। वहां प्रचुर मात्रा में मक्का की जरूरत पड़ती है। बाजार में बिकने वाला कार्नफ्लैक्स, पापकार्न आदि मक्का से ही तैयार होता है। मक्का का उपयोग मुर्गी एवं पशु आहार के रूप में भी किया जाता है। मक्का स्वास्थ्य के लिए भी बेहतर माना जाता है।  

किसान हो रहे मालामाल

मक्का की बिक्री इस वर्ष 2100 रुपये क्विंटल तक हुई है। जिले के सहसराम-गोलमा निवासी मक्का व्यापारी चंद्रेदव चुन्नू ने बताया कि इस बार किसान मालामाल हो गए। मक्के का भाव बढ़ने से किसानों को ठीक-ठाक पैसे मिले हैं। पिछले वर्ष मक्के का भाव 1500 से 1600 रुपये क्विंटल था। इस बार मक्का की मांग अधिक है।