घरों में हुई माह-ए-रमजान की अलविदा की नमाज
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बिक्रमगंज में रमजान महीने के आखिरी जुम्मे की अलविदा की नमाज लोगों ने अपने अपने घरों पर अदा की। बिक्रमगंज निवासी अयूब खां ने बताया कि रहमतों का महीना हमसे रुखसत होने वाला है। मुसलमान जब अलविदा जुम्मे की नमाज पढ़ते हैं तो उनके दिलों में एक रंज (गम) होता है कि फजीलत वाला जुम्मा हम से रुखसत हो रहा है। अब 11 महीनों के बाद ही यह फिर हमारे नसीब में होगा । इसलिए सभी मुसलमान भाइयों ने इसको अपनी नम आंखों के साथ रुखसत किए।
काश्मीरी मस्जिद के मौलाना मो. अजीमुद्दीन इमाम ने कहा कि रमजान उल मुबारक के महीने में तकवा बहुत जरूरी है। कोरोना के जारी रहने तक घर पर ही इबादत करें। अय्यूब खान कहते हैं कि रमजान उल मुबारक की शब-ए-कद्र हजार महीनों से बेहतर है। लॉकडाउन के चलते रात भर घरों में ही इबादत की गई। रमजान उल मुबारक की यूं तो सभी रातें बेहतर हैं, मगर शब-ए-कद्र की रात इन सब रातों से बेहतर है। रात भर इबादत की जाती है और अल्लाह को राजी किया जाता है। शब-ए-कद्र पर अपने मरहूम पूर्वजों की मगफिरत के लिए दुआ की जाती है। कहा कि अभी देशभर में लॉकडाउन चल रहा है, इसलिए हम लोग घरों में ही रहकर इबादत कर रहे हैं।