महकमा से उठा भरोसा, ग्रामीणों ने संभाली कमान
रोहतास। बदलते बिहार की इस क्रांति में अब जनभागीदारी भी रफ्तार पकड़ने लगी है। जिम्मेवार मह
रोहतास। बदलते बिहार की इस क्रांति में अब जनभागीदारी भी रफ्तार पकड़ने लगी है। जिम्मेवार महकमा से भरोसा उठते ही ग्रामीणों ने खुद शराब के विरोध में कमान सम्भाल इस पर नकेल कसने की पहल शुरू कर दी है। ऐसा ही नजारा रविवार की सुबह शहर से सटे बेदा गांव में देखने को मिला। शराब के कारण बदनाम गांव व गली की तस्वीर और तकदीर बनाने की मुहिम गांव के कुछ युवकों व महिलाओं ने शुरू कर दी। इस दौरान एक दर्जन से अधिक मिनी शराब कारखानों का उद्भेदन किया गया। ग्रामीणों के रूख को भांप धंधेबाज मौके से खिसक लेने में ही अपनी भलाई समझ ली। फिर क्या था, पल भर में वर्षों से फल फूल रहे अवैध कारोबार का यह साम्राज्य बालू की रेत की तरह धराशायी होने लगा।
स्थानीय लोगों के अनुसार घरों में छिपा कर रखी गई महुआ शराब मिलने का सिलिसिला घंटों चलते रहा। घर से लेकर खेत-खलिहान व गोशाला तक में शराब छिपा कर रखी गई थी। मौके पर पहुंची पुलिस सिर्फ तमाशबीन बन ग्रामीणों के समाने खड़ी रही। जनता खुद इस काम को बेहतर ढ़ंग से अंजाम दे रहे थे। गांव के एक वृद्ध ने नाम नहीं छपने की शर्त पर कहा कि यह धंधा सब वर्दीवालों के नजरे इनायत पर ही चल रहा था। वरना क्या मजाल कि महिला बटालियन केंद्र के चंद फासले पर यह गोरख धंधा चले, और उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगे। नशामुक्त प्रदेश बनाने को ले एक दिन पूर्व बनाई गई मानव श्रृंखला का असर अब आम जनमानस पर भी पड़ने लगा है। लोग अब इस कलंक को मिटाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। गांव की महिला कलावती देवी कहती हैं कि अंजाम चाहे जो भी हो, अब हम चुप नहीं रहेंगे।