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अब तक दूर नहीं हुई गोखुला की बदहाली

रोहतास। एक तरफ जहां सरकार समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े अनुसूचित जाति-जनजाति बहुलता

By JagranEdited By: Published: Fri, 02 Nov 2018 02:40 PM (IST)Updated: Fri, 02 Nov 2018 02:40 PM (IST)
अब तक दूर नहीं हुई गोखुला की बदहाली
अब तक दूर नहीं हुई गोखुला की बदहाली

रोहतास। एक तरफ जहां सरकार समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े अनुसूचित जाति-जनजाति बहुलता वाले गांवों का विकास करने के लिए कटिबद्धता दोहराती है। प्रखंड की सेवही पंचायत का अनुसूचित जाति बहुल गांव गोखुला अब भी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। रास्ते के अभाव में यहां अब भी बरसात क्या, किसी भी मौसम में लोग खेत के आर मेड़ों पर रेंगते हुए लोग गांव पहुंचते हैं। बरसात में तो खेतों में पानी भर जाने के चलते यहां के लोग हाथों में जूते चप्पल लेकर गांव से निकलने को मजबूर हो जाते हैं।

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ग्रामीणों की मानें तो इतनी परेशानी के बावजूद इन ग्रामीणों की फरियाद को न तो प्रशासनिक अधिकारी सुनने को तैयार हैं, ना ही कोई जनप्रतिनिधि। जबकि इस गांव में कुल घरों की संख्या सवा सौ के आसपास बताई जाती है। जिनको इन ग्रामीणों ने अपना बहुमूल्य वोट देकर इन प्रतिनिधियों को जीत सुनिश्चित हो पाई है। पंचायती राज व्यवस्था या फिर लोकसभा या विधानसभा में प्रतिनिधियों को चुनकर भेजते हैं। यहां 80 फीसद अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लोग निवास करते हैं।

समस्या को लेकर यहां के ग्रामीण कई बार गुहार लगा चुके हैं :

ग्रामीणों ने समस्याओं से एसडीएम सहित सांसद, विधायक से भी कई बार गुहार लगा चुके हैं। लेकिन गांव में गली नाली निर्माण व पेयजल की व्यवस्था करने के लिए कोई भी जनप्रतिनिधि या प्रशासनिक अधिकारी आगे आने के लिए तैयार नहीं है । सिर्फ चुनाव आते ही प्रत्याशियों को इस गांव के मतदाताओं की संख्या 300 बताई जाती है। जो किसी भी प्रत्याशी के राजनीतिक भाग्य का फैसला करने के लिए काफी है। ग्रामीण वासुदेव राम, सुदामा राम, ललन राम, दारा दुबे एवं नरेश राम आदि ने बताया कि सेबही-भरखोहा पथ से लगभग आधा किलोमीटर उन्हें अपने गांव में प्रवेश करने के लिए किसानों की रैयती भूमि से होकर जाना पड़ता है। मुखिया भोला ¨सह ने बताया कि मनरेगा के द्वारा रास्ते पर वे मिट्टी डलवाना चाहते थे। परंतु रैयती भूमि होने के कारण भूमि मालिकों ने रोक दिया। मरीजों को चिकित्सा के लिए पहले खाट पर लिटा कर लाना पड़ता है। मुखिया ने बताया कि वर्ष 2000 के आसपास सड़क के लिए 25 डिसमिल भूमि का नापी कराकर अधिग्रहण के लिए सीओ द्वारा जिला को लिखा गया था, परंतु अभी तक कुछ नहीं हो सका।


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