कोचस में कंस वध के साथ श्रीकृष्ण लीला संपन्न
शाहाबाद क्षेत्र में प्रचलित कहावत है कि रामनगर की रामलीला, डोल डुमरांव, कोचस में कंस लीला, ताजिया
शाहाबाद क्षेत्र में प्रचलित कहावत है कि रामनगर की रामलीला, डोल डुमरांव, कोचस में कंस लीला, ताजिया सासाराम । इसी कहावत व पौराणिक कथाओं को अपने दामन में समेटे कोचस का श्री कृष्ण लीला रविवार को कंस वध के साथ संपन्न हो गया। इससे पूर्व दस दिनों तक चले इस कृष्ण लीला में गोवर्धन पूजा,पूतना वध ,कालिया नाग मर्दन,चीर हरण सहित श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं का प्रदर्शन किया गया। श्रीकृष्ण लीला समारोह माघ मास में बसंत पंचमी से शुरु होकर पूर्णिमा को कृष्ण द्वारा कंस वध के साथ संपन्न होता है। श्री कृष्ण द्वारा आतताई कंस का वध करने के साथ ही वहां उपस्थित जन समूह द्वारा श्री कृष्ण की जयकारी लगाई जाती है।
दशकों पूर्व यह ऐतिहासिक मेला गुलजार रहता था। उतर प्रदेश एवं बिहार के कोने-कोने से व्यापारियों का समूह यहां एक सप्ताह पूर्व से मेला लगाने आते थे। कोचस की कृष्ण लीला की प्रसिद्धि ऐसी थी कि इसकी तुलना राम नगर की राम लीला, डुमरांव के डोल व सासाराम के तजिया से होती थी। लेकिन प्रशासनिक पहल के अभाव में धीरे धीरे मेला का दायरा सिमटता गया। जगह के अभाव में अब तो लीला मेला का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। बताया जाता है कि दशकों पूर्व से कोचस में महाराज जी परिवार द्वारा इस मेला का संचालन व देख रेख किया जाता आ रहा है।
मेला के वर्तमान संचालक द्वारा मेला को जीवंत करने के लिए आज भी जद्दोजहद किया जा रहा है। वर्तमान संचालक आचार्य राजनारायण पांडेय ने बताया कि यदि इस मेला को प्रशासनिक संरक्षण मिला होता तो आज यह मेला पूरे देश में प्रसिद्धि पाई होती। उन्होंने बताया कि कृष्ण लीला एवं मेला स्थल पूरी तरह से अतिक्रमण के दायरे में है। लोगों द्वारा इस पौराणिक लीला के स्थल को जहां तहां कब्जा कर लिया गया है। जिसके अभाव में कृष्णलीला का कई जगह स्थल भी बदलना पड़ता है । उन्होंने बताया कि कलक्टर ,मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल को यहां मेला को प्रशासनिक संरक्षण देने के लिए पत्र लिखा गया, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।