24 घंटे के अंदर धौड़ाढ में दूसरी बार मिली अंग्रेजी शराब
रोहतास। पुलिस डाल-डाल तो शराब माफिया पात-पात की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। शरा
रोहतास। पुलिस डाल-डाल तो शराब माफिया पात-पात की कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। शराब माफिया ठिकाना बदल कर गुप्त स्थानों पर शराब छिपा इस धंधे से लाखों का वारा-न्यारा कर रहे हैं। इस धंधे पर अंकुश लगाने की कवायद के तहत लगातार छापेमारी चल रही है, फिर भी बड़ी मात्रा में शराब की बरामदगी ने जिम्मेदार महकमों की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। महज 24 घंटे के अदंर धौड़ाढ गांव में दूसरी बार अंग्रेजी शराब की बड़ी खेप की बरामदगी ने सबको हैरत में डाल दिया है। जानकारों की माने तो तीन दिन पहले शराब की एक बड़ी खेप लाकर गांव के आसपास छिपाई गई थी। एक दिन पहले इंद्रपुरी थाना के नियमाडीह से शराब के नशे में धुत पकड़े गए तीन शिक्षकों की निशानदेही पर भारी मात्रा में उसी गांव में बो¨रग के लिए बने कमरे से 310 कार्टन शराब मिली थी। उसी कड़ी के तहत शराब धंधेबाजों ने शराब की यह बड़ी खेप पहाड़ी के नीचे बने एक खंडहरनुमा मकान के बंद कमरे में छिपाकर रखी गई थी। जिसे जल्द ही ठिकाने लगाने की योजना थी। जिले के सिर्फ मुफस्सिल थाना क्षेत्र के अंतर्गत छठी बार भारी मात्रा में अंग्रेजी शराब की बरामदगी क्षेत्र में शराब माफिया के एक बड़े नेटवर्क का जीता जागता प्रमाण के रूप में सामने है। पिछले दो माह के दौरान मुफस्सिल थाना क्षेत्र के अंतर्गत छठी बार बड़ी मात्रा में अंग्रेजी शराब बरामद हुई है। गत छह अक्टूबर को जमुहार गांव के समीप से 350 कार्टन, 31 अक्टूबर को खंडा गांव से 88 कॉर्टन, 23 नवंबर को कंचनपुर के पास बंद क्रशर प्लांट स्थित मजदूर के रहने वाले कमरे में 175 कॉर्टन, सात दिसबंर को बेदा गांव से 240 कार्टन व दस दिसंबर को धौड़ाढ गांव से 310 कार्टन अंग्रेजी शराब बरामद की गई थी।
इसके अलावा रामपुर, दहियाड़, बहराढ़ समेत काव नदी के किनारे बसे कई गांवों में महुआ निर्मित देसी शराब भट्ठियों संचालित किए जाने का सिलसिला जारी है। हालांकि पुलिस व उत्पाद विभाग की टीम समय-समय पर छापेंमारी कर अबतक दर्जनभर से अधिक बार शराब भट्ठियो को ध्वस्त भी कर चुकी है, फिर भी यह धंधा थमने का नाम नहीं ले रहा है। वहीं शराब छिपाने के लिए धंधेबाजों ने शायद ही कोई ऐसा ठिकाना बचा हो जहां शराब नहीं छिपाई हो। जमीन में सुरंग बना, खेत, फसल के अंदर, बो¨रग के चैंबर, बंद क्रशर प्लांट, सुअर के रहने वाले बाड़ा के अलावा सरकारी भवन तक का इस्तेमाल करने से भी धंधेबाजों ने परहेज नहीं किया। काव नदी के किनारे बसे गांवों में महुआ शराब उत्पादन पर भी अंकुश लगाने में पुलिस को नाको चने चबाने पड़ रहे हैं।