मकर संक्रांति नजदीक आते ही बाजारों में बढ़ी रौनक
मकर संक्रांति की तैयारी शुरू हो चुकी है। फिजा में घुल रही तिलकुट की सोंधी खुशबू इसका एहसास करा रही है। मकर संक्रांति के दिन चूड़ा दही गुड़ और तिलकुट खाने की परंपरा है। तिलकुट व्यवसायी इस रिवाज को भुनाने में लगे है।
संवाद सहयोगी, डेहरी ऑन-सोन: मकर संक्रांति की तैयारी शुरू हो चुकी है। फिजा में घुल रही तिलकुट की सोंधी खुशबू इसका एहसास करा रही है। मकर संक्रांति के दिन चूड़ा दही गुड़ और तिलकुट खाने की परंपरा है। तिलकुट व्यवसायी इस रिवाज को भुनाने में लगे है। इस पर्व में अब महज शेष दिन बचे है। ऐसे में शहर के अलावा ग्रामीण इलाके के चट्टी बाजार तिलकुट की खुशबू से गुलजार हो गए हैं।
शहर के बारहपत्थर मोड़, स्टेशन रोड, बाबूगंज मोड़ समेत अन्य जगहों पर तिलकुट की दुकानें सज चुकी हैं। इसके अलावा विभिन्न प्रखंड के बाजारों में भी तिलकुट की बिक्री शुरू हो गई है। डेहरी बारह पत्थर चौक के तिलकुट के खुदरा एवं थोक व्यवसायी रामधनी कहते है कि आम तौर पर ठंड शुरू होते ही तिलकुट बनने लगता है। कई ब्रांड के पैक तिलकुट भी आते है, लेकिन बाजार में लोकल तिलकुट की डिमांड सबसे अधिक है। खोवा व सफेद तिल का तिलकुट ग्राहक सबसे अधिक पसंद करते है। वहीं शुगर फ्री गुड़ वाले तिलकुट भी काफी लोग खरीद रहे है। बाहर से भी बुलाए गए हैं कारीगर:
मकर संक्रांति नजदीक आते ही बाहरपत्थर में थोक विक्रेता भजन जी के यहां कारीगर दिलीप गुप्ता, पियूष गुप्ता, रामगढ़ झारखंड के रहने वाले सुरज गुप्ता, गोपालगंज के सोनू कुमार द्वारा तिलकुट बनाने का काम जोरों पर है। सभी कारीगर पूरे दिन बैठ कर तिलकुट तैयार कर रहे है, ताकि संक्रांति के दिन माल कम न पड़ जाए। वैसे लोगों ने अभी से ही खरीदारी भी शुरू कर दी है। बाजार में तिलकुट का डिमांड है। वहीं स्वाद के मामले में खोवा वाले तिलकुट का कोई जवाब नहीं है। खोवा वाला तिलकुट फिलहाल बाजार में 280 से 300 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। ठंड के मौसम में बढ़ जाती है तिलकुट की मांग :
ठंड बढ़ने के साथ-साथ मांग भी बढ़ रही है। तिलकुट खाने के अपने वैज्ञानिक फायदे भी हैं। तिलकुट में तिल होता है, जिसकी तासिर गर्म होती है। ठंड में तिल खाने से लोगों के शरीर पर मौसम का असर कम होता है। आयुर्वेदिक दवाओं में भी तिल का इस्तेमाल होता है। तिलकुट खाने से कब्ज जैसी समस्या नहीं होती है और यह पाचन क्रिया को भी बढ़ाता है। संक्रांति के दिन तिल का है विशेष महत्व:
झारखंड़ी मंदिर के महंथ पुरूषोत्तमाचार्य कहते हैं कि मकर संक्रांति के दिन से ही घरों में शादी-ब्याह, मुंडन और नामकरण जैसे शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं। साथ ही इस दिन तिल और गुड़ से बने लड्डुओं का प्रयोग हर घर में होता है। खासकर मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी और तिल के लड्डू हर घर में बनते हैं। मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन ना सिर्फ तिल खाए जाते हैं बल्कि इन्हें पानी में डालकर स्नान भी किया जाता है। धर्मग्रंथों में तिल दान का विशेष महत्व है।