रमजान में रोजा रख इबादत में मशगूल रहता इनसान
रोहतास। रमजान का महीना शुरु है। रमजान के दौरान इंसान आधुनिक चकाचौंध से अलग हट कर के
रोहतास। रमजान का महीना शुरु है। रमजान के दौरान इंसान आधुनिक चकाचौंध से अलग हट कर केवल खुदा की इबादत में मशगूल रहता है। रमजान साल के बारह महीनों में सबसे मुबारक महीना होता है। इस महीने में नेकी का सबाब अन्य दिनों के मुकाबले 7 सौ गुना बढ़ जाता है। हाफिज मौलाना मो. रिजवानुल्लाह अहमद ने कहा कि यह गमखारी का महीना होता है। जिसमें दूसरों के साथ हमदर्दी, खैरखाही तथा प्यार मोहब्बत के साथ पेश आना चाहिए। रोजा का मतलब होता है 'रोकनाश'। इसमें न केवल खुद को भूख-प्यास से रोकना बल्कि झूठ, गीबत, कीना, हसद, बुरी निगाह, गुनाह, बेहमारी व धोखा आदि से खुद को दूर रखना चाहिए। इस माह में यतीमों, बेवाओं तथा गरीब व बेसहारा लोगों की मदद भी की जानी चाहिए।
कष्ट में आनंद की अनुभूति:
मौसम परिवर्तन से रोजेदारों को थोड़ी परेशानी हो रही है। लेकिन इसमें भी एक खास मजे का अहसास होता है। यह सब्र का महीना है और सब्र का बदला जन्नत होती है।
तालीम कराती है मालिक से मुलाकात:
इस्लाम ने तालीम सभी के लिए अर्ज किया है। तालीम से सही-गलत, पाक-नापाक तथा जायज-नाजायज की पहचान होती है। चाहे औरत हो या मर्द, तालीम सभी को इंसानियत का पाठ पढ़ाती है। तालीम मालिक से मुलाकात की राह दिखाती है।