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उपेंद्र की पाठशाला में बेटियों की पढ़ाई में बाधक नहीं गरीबी

बेटियां पढ़ेंगी तभी समाज सुशिक्षित होगा। देश की तरक्की होगी। बेटियों को पढ़ाने में जज्ब

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Mar 2020 09:18 PM (IST)Updated: Wed, 04 Mar 2020 06:12 AM (IST)
उपेंद्र की पाठशाला में बेटियों की पढ़ाई में बाधक नहीं गरीबी

बेटियां पढ़ेंगी, तभी समाज सुशिक्षित होगा। देश की तरक्की होगी। बेटियों को पढ़ाने में जज्बा व जुनून की जरूरत होती है, पैसे की नहीं। अब बेटियों की पढ़ाई में गरीबी बाधा नहीं बनती है। यह मानना है सासाराम जिले के संझौली प्रखंड के गड़ुरा गांव निवासी उपेंद्र कुमार सिंह का। वह पिछले 15 वर्षो से गांव की बेटियों को शिक्षित कर रहे हैं। उनकी पाठशाला में बेटियों की पढ़ाई में कभी गरीबी नहीं बाधक बनी। अपनी डेढ़ दशक की इस मुहिम में उपेंद्र ने अब तक तीन हजार से अधिक बेटियों को शिक्षित किया है। इसमें करीब पांच सौ वैसी बेटियां रहीं, जिनके माता-पिता अत्यंत गरीब थे। उपेंद्र ने वैसी बेटियों को कभी पढ़ाई में गरीब होने का अहसास नहीं होने दिया। आज उपेंद्र द्वारा शिक्षित कई लड़कियां सरकारी व गैर सरकारी नौकरियां हासिल कर माता-पिता के अरमानों को साकार कर रहीं। अब तो सरकारी विद्यालयों के शिक्षक भी उपेंद्र के इस पुनीत कार्य में हमराह बनने लगे हैं। वह भी मदद को आगे आए हैं। बेटियों की शिक्षा को बना लिया ध्येय, नहीं की खुद की परवाह :

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डेढ़ दशक पूर्व तब गांव में संपन्न घरों की बेटियां बिक्रमगंज या अन्य जगहों पर तैयारी कर मैट्रिक में बेहतर अंक ला देती थीं, लेकिन गरीब बेटियां समुचित शिक्षा व उचित मार्गदर्शन के अभाव में अच्छा नहीं कर पाती थीं। इसी दरम्यान कुछ लोगों की सलाह पर उपेंद्र सिंह ने पाठशाला की शुरुआत की। 1996 में रसायन शास्त्र से स्नातक प्रतिष्ठा किए उपेंद्र को प्रारंभिक दौर में काफी परेशानियां उठानी पड़ीं और चुनौतियों से दो-चार होना पड़ा। लेकिन वे हर परिस्थिति में अडिग रहे। समुचित शिक्षा व उपेंद्र के बेहतर मार्गदर्शन से गरीब बेटियां भी अपने हौसलों को पंख भरने लगीं। जब पाठशाला में लड़कियों की भीड़ उमड़ी तो उन्होंने सरकारी विद्यालयों को ही विद्यालय अवधि से पूर्व अपनी पाठशाला बना ली। समाज के लिए कुछ करने के जुनून में उपेंद्र ने खुद की तनिक भी परवाह नहीं की। गरीब लड़कियों को पढ़ाना ही अपना ध्येय बना लिया। कई बेटियां ऐसी, जिन पर है सबको नाज :

कई ऐसी बेटियां हैं, जिन पर सबको फख्र है। उपेंद्र के मार्गदर्शन में बसौरा के राजेंद्र सिंह की पुत्री संजू ने नेशनल साइंस एक्जीबिशन इंस्पायर्ड में परचम लहराया है। फिलहाल, वो टेट (सेंट्रल) में सफल होने के बाद बीपीएससी की तैयारी में जुटी है। उदयपुर के हरेंद्र प्रसाद की बेटी पूनम बिहार पुलिस में है। संझौली की अनिता कुमारी सीआइएसएफ तो बसंती उत्पाद विभाग में पदस्थापित है। उपेंद्र की पाठशाला में पढ़ रही बसौरा के सत्येंद्र कुमार की पुत्री नौवीं की छात्रा नेहा ने राष्ट्रीय आय सह मेधा छात्रवृत्ति परीक्षा में हाल ही में 50 हजार का पुरस्कार जीता है। उपेंद्र कहते हैं कि ऐसी दर्जनों बेटियां हैं, जिन्होंने अपने माता-पिता के साथ मुझे भी गौरवान्वित किया है। कहती हैं बेटियां :

-समाज के लिए कुछ करने की चाहत तो हर किसी की होती है, लेकिन बहुत कम लोग होते हैं जो समाज के लिए समर्पित हो पाते हैं। उनके उचित मार्गदर्शन का परिणाम है कि आज जिदगी में कुछ अलग करने का जुनून है। उन्होंने गरीब लड़कियों के लिए जो कुछ किया, उसका कोई मूल्य नहीं। उनकी पाठशाला में लड़कियों के लिए पैसा कभी बाधक नहीं बना।

-संजू कुमारी, बसौरा

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-उनके मार्गदर्शन और शिक्षा का परिणाम है कि हम जैसी लड़कियों को एक मुकाम मिला। आज हम बिहार पुलिस में पदस्थापित हैं। उन्होंने गरीब लड़कियों की पढ़ाई में पैसों को कभी महत्व नहीं दिया। गरीबी कभी उनके आड़े नहीं आई।

-पूनम कुमारी, उदयपुर

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-समुचित शिक्षा व उनके उचित मार्गदर्शन की ही देन है कि आज मैं राष्ट्रीय आय सह मेधा छात्रवृत्ति परीक्षा उत्तीर्ण कर पाई। उनकी पाठशाला में पैसों की कमी के कारण कभी पढ़ाई प्रभावित नहीं हुई। आज मैं ऐसे शिक्षक के सान्निध्य में पढ़कर खुद को भाग्यशाली समझती हूं।

-नेहा कुमारी, बसौरा

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