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पहले दिन कदाचार के आरोप में छह परीक्षार्थी निष्कासित

नियोजित शिक्षकों के हड़ताल के बीच सोमवार से जिले में चाक चौबंद व्यवस्था के बीच मैट्रिक की परीक्षा शुरू हुई। मैट्रिक परीक्षा के पहले दिन बाहर में सन्नाटा पसरा रहा वहीं अंदर भी पूरी तरह से शांत रहा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 17 Feb 2020 11:29 PM (IST)Updated: Mon, 17 Feb 2020 11:29 PM (IST)
पहले दिन कदाचार के आरोप में छह परीक्षार्थी निष्कासित
पहले दिन कदाचार के आरोप में छह परीक्षार्थी निष्कासित

नियोजित शिक्षकों के हड़ताल के बीच सोमवार से जिले में चाक चौबंद व्यवस्था के बीच मैट्रिक की परीक्षा शुरू हुई। मैट्रिक परीक्षा के पहले दिन बाहर में सन्नाटा पसरा रहा, वहीं अंदर भी पूरी तरह से शांत रहा। परीक्षा समिति के नियम व निर्देश का पहले दिन खास असर दिखा। मुख्य द्वार पर परीक्षार्थियों की सघन तलाशी ले चिट पुर्जा को बाहर ही जब्त कर लिया गया। पहले दिन कदाचार के आरोप में छह परीक्षार्थी को निष्कासित किया गया। दोनों पालियों में विज्ञान विषय की परीक्षा आयोजित की गई। डीएम, एसपी समेत अन्य अधिकारियों ने केंद्रों का जायजा लिया।

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डीईओ प्रेमचंद्र ने बताया कि जिले के 51 केंद्रों पर कड़ी सुरक्षा के बीच मैट्रिक की परीक्षा शुरू हुई। पहले दिन दोनों पाली में अंग्रेजी की परीक्षा आयोजित की गई। पहली पाली में 29066 परीक्षार्थी उपस्थित रहे, जबकि 555 अनुपस्थित रहे। इसी प्रकार दूसरी पाली में 29208 परीक्षार्थी शामिल रहे व 499 परीक्षा से गायब रहे। दोनों पाली में 58274 उपस्थित व 1054 अनुपस्थित रहे। पहली पाली में डेहरी के राम किशोर सिंह इंटर कॉलेज डालमियानगर से कदाचार के आरोप में एक परीक्षार्थी को निष्कासित किया गया। जबकि दूसरी पाली में प्रज्ञा निकेतन पब्लिक स्कूल सासाराम से तीन व ईश्वरचंद विद्यासागर एकेडमी मोरसराय से दो परीक्षार्थी को निष्कासित किया गया। डीएम पंकज दीक्षित व एसपी सत्यवीर सिंह ने एसपी जैन कॉलेज, तो एसडीएम राजकुमार गुप्ता व एसडीपीओ लक्ष्मण प्रसाद श्रीशंकर कॉलेज समेत आधा दर्जन से अधिक केंद्रों का निरीक्षण किया। डीईओ ने संत पॉल स्कूल, श्रीशंकर इंटरस्तरीय विद्यालय, श्रीशंकर कॉलेज, शेरशाह कॉलेज समेत कई निर्देशों का दौरा कर वहां संचालित हो रही परीक्षा का जायजा लिया। कहा कि कई नियोजित शिक्षकों ने हड़ताल पर नहीं जाने व वीक्षण कार्य करने से बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समिति की शुरू अनिश्चितकालीन हड़ताल का असर परीक्षा पर नहीं पड़ा है। जिन सहायक शिक्षकों या प्रधानाध्यापकों को परीक्षा कार्य के लिए सुरक्षित रखा गया था, उन्हें विद्यालय के लिए विमुक्त कर दिया गया है, ताकि शिक्षण कार्य बाधित न हो। वहीं शिक्षण कार्य बाधित कर हड़ताल पर जाने वाले नियोजित शिक्षकों को नो वर्क, नो पेमेंट के तहत वेतन का भुगतान किया जाएगा। साथ ही उन्हें अनुपस्थित व उनकी सेवा में त्रुटि मानते हुए अन्य अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी।

सताता रहा नौकरी का भय :

परीक्षा समिति के कड़े नियम से परीक्षा कार्य में लगे चाहे वीक्षक हो या दंडाधिकारी व अन्य कर्मी, हर किसी को अपनी नौकरी का भय सताता रहा। कदाचारमुक्त परीक्षा को ले जारी गाइड लाइन को कर्मी अक्षरश: पालन करते दिखे। बहरहाल परीक्षार्थियों की सघन तलाशी लेने में उनके द्वारा कोई कोर कसर नहीं छोड़ा गया। बेचैन कर्मी को ज्यादा नौकरी बचाने की चिता पहले दिन दिखी। शायद यही वजह रहा कि नकलची परीक्षार्थी हो या नकल कराने वाले अभिभावक, हर किसी पर उनकी पैनी नजर रही। जिसका असर रहा कि परीक्षा केंद्र के इर्द गिर्द लोगों की संख्या नहीं के बराबर दिखी। केंद्राधीक्षकों को सबसे अधिक भय नियोजित शिक्षकों के बारे में सताता रहा। योगदान नहीं करने वाले शिक्षकों से संबंधित शिक्षा विभाग को रिपोर्ट भेजने में वे काफी सोच-विचार किया।


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