इंद्रपुरी जलाशय के कार्यों का किसान मांग रहे हिसाब
रोहतास। रोहतास समेत राज्य के आठ जिलों में खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए माननीययों द्वारा किए गए क
रोहतास। रोहतास समेत राज्य के आठ जिलों में खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए माननीययों द्वारा किए गए कार्यों का हिसाब किसान मांगने लगे हैं। कहते हैं कि सोन नहरों को जिदा रखने के लिए तीन दशक पूर्व जिस कदवन जलाशय योजना, अब इंद्रपुरी जलाशय योजना का शिलान्यास किया गया, उसका क्या हुआ। उसपर नेताओं को हिसाब देना ही होगा। क्योंकि यह परियोजना पेट भर अनाज व बच्चों के भविष्य से जुड़ी है। नेताओं को यह बताना पड़ेगा कि इंद्रपुरी बराज पर जल भंडारण क्षमता सिमटने व वाणसागर तथा रिहंद के पानी के भरोसे लाखों किसानों की खेती के लिए स्थाई हल अबतक क्यों नहीं निकाला गया।
जिले किसान तब के दिनों को याद कर कहते हैं कि इस परियोजना के लिए बिक्रमगंज के सांसद रहे राम अवधेश सिंह ने सड़क से संसद तक संघर्ष किया था। 12 जनवरी 1990 को राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र ने पलामू जिले के कदवन गांव में इस योजना का शिलान्यास भी कर दिया था। हालांकि पहले शिलान्यास की तैयारी नौहट्टा प्रखंड के मटियांव में की गई थी। इसके प्रारंभिक कार्य के लिए 30 करोड़ रुपये भी मिले थे। पलामू के डाल्टनगंज व इंद्रपुरी में इसके कार्यालय भी खुले। सन 2000 में राज्य के पुनर्गठन के बाद कदवन जलाशय का नाम बदलकर इंद्रपुरी जलाशय योजना कर दिया गया। इस बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रस्तावित जलाशय के बांध की ऊंचाई 173 फीट करने पर आपत्ति जताई। तब जल संसाधन विभाग ने 2007-08 में सर्वे ऑफ इंडिया को कंटूर सर्वे कराने का निर्णय लिया। इसके लिए लगभग 41 लाख रुपये का भुगतान किया गया। 2010 में सर्वे ऑफ इंडिया ने सर्वे कार्य प्रारंभ किया।सर्वे ऑफ इंडिया ने 2013 में रिपोर्ट दी। लेकिन मामला लंबित पड़ा रहा। केंद्र में एनडीए की सरकार बनने के बाद 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस काम में तेजी लाने के लिए खुद स्थल का निरीक्षण कर वहां अभियंताओं की टीम भेजी। जल विद्युत परियोजना शुरू कराने की घोषणा भी की। किसान रविरंजन सिंह का कहना है कि काम में तेजी ला इस परियोजना को शीघ्र पूरा करानी चाहिए। चुनाव में जिले के किसान नेताओं से इस परियोजना के लिए किए गए कार्यों का लेखा-जोखा की मांग की जाएगी। जब हमारी खेती ही नहीं बचेगी तो बच्चों का भविष्य कैसे सु²ढ़ होगा।