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बेरोजगारी से जंग लड़ रही बिहार की यह 'महावीरी सेना', 400 को दिला चुके जॉब

सासाराम जिले में बेरोजगारों को गरीबी की जंग से विजय दिलाने के लिए कुछ लोगों ने सेल्फ कोचिंग सेंटर बनाकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों की मदद कर रहे हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Thu, 06 Sep 2018 11:47 AM (IST)Updated: Thu, 06 Sep 2018 10:51 PM (IST)
बेरोजगारी से जंग लड़ रही बिहार की यह 'महावीरी सेना', 400 को दिला चुके जॉब
बेरोजगारी से जंग लड़ रही बिहार की यह 'महावीरी सेना', 400 को दिला चुके जॉब

सासाराम [ब्रजेश पाठक]। भगवान श्रीराम की महावीरी सेना ने उन्हें लंका पर विजय दिलाने में मदद की थी। सासाराम की 'महावीरी सेना' ने 400 से अधिक बेरोजगारों को गरीबी की जंग में विजय दिलाई है। सेल्फ कोचिंग सेंटर रूपी सेना का कारवां बढ़ता जा रहा है। प्रतियोगी परीक्षा के लिए दिन-रात परिश्रम कर यहां के चार सौ से अधिक लड़के सरकारी विभागों में सेवा कर रहे हैं। वे वेतन से एक से तीन हजार रुपये प्रतिवर्ष सेना के नए सिपाहियों के लिए सहयोग कर रहे हैं।

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महावीर मंदिर में बनी 'महावीरी सेना

2006 में साधारण घर से नौकरी का सपना पाले यहां आए छोटेलाल सिंह, उदय प्रताप सिंह, अमोद कुमार, सुमित कुमार सिन्हा, मिथिलेश पाठक जब कोचिंग की महंगी फी वहन करने में असमर्थ महसूस करने लगे, तो उनकी मंजिल उनसे दूर होते दिखने लगी। फिर गांव लौट जाने का मन भी हुआ।

इसी बीच कुछ साथियों ने कुराइच में महावीर मंदिर के उद्यान में बैठ योजना बनाई कि वे बिना कोचिंग तैयारी करेंगे। मंदिर में प्रतिदिन तैयारी करने का समय तय कर लिया। नाम रखा महावीर क्विज सेंटर। धीरे-धीरे गरीब बच्चे जुडऩे लगे। स्वाध्याय से तैयारी रंग लाने लगी।

सबसे पहले 2007 में सुमित का एक्साइज इंस्पेक्टर के पद पर चयन हुआ। अगले वर्ष उदय का भी चयन सहायक स्टेशन मास्टर के पद पर हो गया। जिसके बाद प्रतिभावान छात्रों में उत्साह बढ़ता गया। तीन वर्षों में यहां स्वयं तैयारी करने वालों की संख्या 50 तक पहुंच गई।

चयन का सिलसिला बढ़ता गया। इसी बीच मृत्युंजय बिहार पुलिस, मनीष टैक्स असिस्टेंट, मुन्ना कुमार एक्साइज इंस्पेक्टर, छोटे लाल सिंह भारतीय रेल, मिथिलेश पाठक सचिवालय सहायक समेत अन्य साथी भी विभिन्न पदों पर चयनित होते गए।

सरकारी नौकरी की भूख 

महावीरी सेना के सदस्यों ने वैसे युवाओं में भी सरकारी नौकरी की भूख जगा दी है जो साधन की कमी से सोच भी नहीं सकते थे। गांव व टोलों के छात्रों को हर प्रकार की सहायता व मार्गदर्शन कर आगे बढऩे की प्रेरणा दे रहे हैं। अपने-अपने क्षेत्र में अभिरुचि रखने वाले छात्र अलग-अलग ग्रुप बना तैयारी कर रहे हैं।

बारी-बारी से प्रश्नपत्र बनाकर अन्य छात्रों से भी समय सीमा के अन्दर हल करने का प्रयास करते हैं। जिसकी व्यवस्था पूरी तरह निश्शुल्क है। यहां सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे युवा खुद ही शिक्षक, परीक्षक व प्रतिभागी हैं। जो छात्र शिक्षक की भूमिका में रहते हैं, उन्हें एक निश्चित पारिश्रमिक दिया जाता है। स्टडी मेटेरियल व क्विज पेपर के खर्च भी यहां से निकलकर नौकरी करने वाले छात्र वहन करते हैं। 

कहते हैं संस्थापक सदस्य 

रेल कर्मी व महावीर क्विज सेंटर के संस्थापक सदस्य छोटेलाल सिंह कहते हैं, गरीब घर में जन्म लेने के बाद भी सपने को उड़ान देने में कमी नहीं की। महावीर मंदिर में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने से इसका नाम महावीर क्विज सेंटर रखा गया है। प्रबंधन का कार्य पूर्ववर्ती छात्रों द्वारा किया जाता है। 


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