यहां पढ़े-लिखे युवा अब नौकरी करने नहीं जाते परदेश, खेती कर कमा रहे लाखों रुपये
बिहार का एक इलाका ऐसा भी है जहां के युवक अब कमाने के लिए परेदश नहीं जाते हैं। गांव में ही खेती कर समृद्धि का इतिहास रच रहे हैं।
रोहतास [प्रमोद टैगोर]। बिहार का रोहतास जिले का एक प्रखंड है संझौली। पहले खेती यहां घाटे का सौदा थी। स्नातक-स्नातकोत्तर के बाद भी युवाओं के ऊपर लगा बेरोजगारी का धब्बा नहीं हट पाता था। रोजी-रोजगार के लिए परदेस जाकर मेहनत मजदूरी करना यहां के युवाओं की नियति बन गई थी।
समय बदला। युवाओं की सोंच बदली। कुछ युवाओं की एक टोली ने अपनों से दूर नहीं जाने का निर्णय ले गांव में सब्जी की खेती करनी शुरू की। आज पांच वर्षों में यहां की तस्वीर बदल गई है। घरों में समृद्धि दिखाई दे रही है। बच्चे निजी विद्यालयों में पढऩे जाते हैं। जी हां, यह कारनामा संझौली प्रखंड के मसोना गांव के शिक्षित युवाओं ने कर दिखाया है। आज यहां का कोई भी युवा परदेस में जाकर कमाने की बात सोच भी नहीं सकता।
करीब छह हजार आबादी वाले मसोना गांव के शिक्षित युवाओं ने सब्जी की खेती कर गांव को भी एक अलग पहचान दिया है। यहां की सब्जी नेपाल व बंग्लादेश देश तक जाती है। अब युवाओं के मन में यह बात घर कर गई है कि सरकारी नौकरी नहीं मिली तो ङ्क्षचता की बात नही, सब्जी की खेती से जुड़ घर बैठे लाखों रुपये वार्षिक कमाएंगे। फिलहाल पांच सौ युवक इस रोजगार से जुड़े है। जिसमें 50 फीसद शिक्षित हैं।
उच्च शिक्षित युवा भी करते हैं खेती
मसोना के करीब पांच सौ युवक खेती से जुड़े है। इसमें ढाई सौ शिक्षित है। करीब 40 बीए पास है तो एक दर्जन स्नातकोत्तर भी हैं। इंटर व मैट्रिक पास वालों की संख्या लगभग दो सौ से अधिक है। आइटीआइ कर खेती से जुडऩे वाले युवाओं की संख्या भी 30 है।
इन युवाओं ने बदल दी गांव की तस्वीर
गांव के श्रीराम सिंह, सत्येन्द्र सिंह समेत अन्य युवाओं ने स्नातकोत्तर करने के बाद भी जब नौकरी नहीं मिली, तो खेतीबारी में समृद्धि की राह तलाश ली। अब वे पांच वर्षों से सब्जी की खेती कर रहे हैं। विजयकांत सिंह 1994 में बीए ऑनर्स कर बाहर रोजगार करते थे। वे भी अब गांव में सब्जी की खेती कर रहे है।
श्रीनिवास सिंह , अविनाश कुमार , ओमप्रकाश, पंकज कुमार जैसे कई युवा बीए करने के बाद खेती को ही रोजगार के रूप में अपनाया है। संजीत, दीपक, पंकज, अविनाश, चितरंजन, गोपाल, सुनील, चंदन, जितेंद्र जैसे कई युवा आइटीआइ कर सब्जी की खेती कर रहे है। वार्ड सदस्य संघ के प्रखंड अध्यक्ष विनोद कुमार भी बीए पास कर सब्जी की खेती करते हैं। कहते हैं कि इस गांव का कोई युवा 10-15 हजार रुपये की नौकरी करने के लिए परदेश नही जाता है।
आठ सौ बीघा में हो रही सब्जी की खेती
लगभग 12 सौ रकबा वाले मसोना में फिलहाल आठ सौ बीघा में आलू, बैगन, मिर्ची, ङ्क्षभडी, करेला, लौकी आदि की खेती हो रही है। एक युवक कम से कम दो से पांच बीघा सब्जी की खेती करता है। सब्जी हब वाले इस गांव में एक प्रगतिशील क्लब की स्थापना की गई है। गांव में पास के अढ़तिया आते हैं।
कहते है डीएओ
शिक्षित युवकों द्वारा व्यापक रूप से सब्जी की खेती करना अन्य युवाओं के लिए प्रेरणादायी है। सच में एक क्रांति है। बेरोजगारी की दंश झेल रहे अन्य गांवों के शिक्षित युवकों को भी इससे प्रेरणा मिल रही है। जीविका समूह से ऋण का प्रावधान है।
राधारमण, डीएओ (रोहतास)