पहले भी नक्सलियों के निशाने पर रहा है सिविल कोर्ट
न्यायालय परिसर के अंदर एक कौन कहे पांच स्थानों पर पोस्टर चस्पा जजों को धमकी दिए जाने का मामला ।
रोहतास। न्यायालय परिसर के अंदर एक कौन कहे पांच स्थानों पर पोस्टर चस्पा जजों को धमकी दिए जाने की घटना के बाद एक बार फिर सिविल कोर्ट की सुरक्षा सवालों के घेरे में आ गई है। पांच जुलाई को शहीद डीएफओ संजय ¨सह हत्याकांड में पांच नक्सलियों में से चार को उम्रकैद व एक को दस वर्ष की सजा सुनाए जाने के बाद खुफिया अलर्ट के बावजूद सुरक्षा व्यवस्था में आखिर सेंध कैसे लगी, इसे ले चर्चा का दौर जारी हो गया है। जबकि खुफिया रिपोर्ट के बाद न्यायालय की सुरक्षा में अतिरिक्त सुरक्षा कर्मी प्रशासन ने मुहैया कराई है।
सुरक्षा में सेंध, सुरक्षा कर्मियों की लापरवाही :
पोस्टर कांड वहां तैनात सुरक्षा कर्मियों की लापरवाही व नाकामियों को दर्शाता है। क्योंकि न्यायालय परिसर में ही सुरक्षा प्रहरियों को रहने के लिए अलग से बैरक भी बनाए गए हैं। सवाल यह कि कोर्ट की सुरक्षा में प्रतिनियुक्त सुरक्षा कर्मी आखिर कहां थे कि शरारती तत्व लाल सलाम से संबंधित धमकी भरा पोस्टर चिपकाने में कामयाब रहे। खुफिया अलर्ट के बाद भी समय रहते पुलिस द्वारा उचित कदम नहीं उठाए जाने का खामियाजा पूर्व में यहां के लोगों को भुगतना पड़ा है। पहले भी सिविल कोर्ट परिसर में एक बार कौन कहे तीन बार बम विस्फोट की घटना घट चुकी है। जिसमें एक की मौत व आधा दर्जन लोग जख्मी हो चुके हैं।
वर्ष 2006 में पहली बार हुआ था विस्फोट :
एक दशक पूर्व 2006 में चरपोखरी नरसंहार की घटना में कोर्ट में पेशी के लिए राजपुर प्रखंड के तत्कालीन जिला पार्षद सुदामा यादव आए थे। पेशी से लौटने के क्रम में कोर्ट परिसर में साइकिल में रखा बम विस्फोट हुआ था। जिसमें भी तीन लोग जख्मी हो गए थे। उसके पूर्व 2003 में डबुआ मोड़ विस्फोट के दौरान घटनास्थल से पुलिस को एक नक्सली पर्चा बरामद हुआ था, जिसमें सिविल कोर्ट उड़ाने की धमकी दी गई थी। उसके बाद 2016 में 13 मार्च को सिविल कोर्ट के उतर जीटी रोड के किनारे खड़ी एक मोटरसाइकिल की डिक्की में रखा बम ब्लास्ट करने से वाहन मालिक व अधिवक्ता लिपिक विजय ¨सह तथा ठीक तीन माह बाद 14 जुलाई को चलती बाइक में हुए विस्फोट के दौरान बाइक सवार सचिन की मौत हो गई थी, जबकि एक अन्य जख्मी हो गया था। इस घटना में बाइक भी जल कर राख हो गई थी। घटना में घायल व मृतक का संबंध पुलिस ने नक्सलियों से होने की बात स्वीकारी थी। घटना के बाद खुफिया विभाग ने कोर्ट की सुरक्षा चाक चौबंद करने की आवश्यकता बताई थी।
सुरक्षा व्यवस्था को धत्ता बताते बेतरतीब खड़ी बाइकें :
सिविल कोर्ट के बाहर वर्जित क्षेत्र में बेतरतीब तरीके से खड़ी की जाने वाली बाइकें जहां परेशानी का सबब बन रही है, वहीं सुरक्षा व्यवस्था को भी धत्ता बता रही है। आए दिन अधिवक्ताओं व आम लोगों की कोर्ट के पास से चोरी हो रही बाइक की घटना भी सुरक्षा व्यवस्था को पूर्व से कटघरे में खड़ा करती रही है। साथ ही एक वर्ष पूर्व आरा कोर्ट परिसर में हुए बम विस्फोट के बाद न्यायालयों की सुरक्षा बढ़ाने के सरकारी निर्देश पर भी यहां अबतक अमल नहीं हो पाया है। जबकि यहां के अधिवक्ता संघों ने कई बार जिला प्रशासन से कोर्ट के बाहर सड़क के किनारे खड़े होने वाली बाइकों के लिए अलग से पार्किंग स्थल बनाने की मांग भी कर चुका है।