..और फफक पड़े मतदान से वंचित बुजुर्ग
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रोहतास। संझौली के 92 वर्षीय रामचंद्र चौरसिया जब घर से मतदान करने निकले तो चेहरे पर मुस्कान व मन में उल्लास था। बुढ़ापे में पैरों की परेशानियां ऐसी थी की ज्यादा देर तक खड़ा होना भी मुश्किल था। पर लोकतंत्र में महापर्व का हिस्सा बनने के जोश में वह घर से निकल पड़े। मतदान केंद्र 156 गौरी शंकर उच्च विद्यालय पहुंचे, तो उनके चेहरे पर थकान के चिह्न दिख रहे थे। लेकिन मतदान केंद्र पर पर पहुंचे तो पता चला कि मतदाता सूची से उनका नाम हटा दिया गया है।
पीठासीन पदाधिकारी से बार-बार आग्रह कर रहे थे, साहब मुझे मतदान करने दीजिए। मैं हमेशा मतदान करता आया हूं, पर पीठासीन पदाधिकारी ने नाम डिलीट होने की बात कहकर अपनी मजबूरी बता दी। अंतत: अधिकारियों के काफी समझाने के बाद वे मतदान केंद्र से बिना वोट दिए ही लौट गए। मतदान जीते जी मतदान के अधिकार से वंचित होने से वे काफी मर्माहत थे। डबडबाई आंखों के बीच बताया कि 70 वर्षों से वे लोकतंत्र के महापर्व का हिस्सा बनते आ रहे हैं। हर परिस्थिति में मतदान किया है। कहा कि एकबार तो काफी बीमार था। चलने फिरने में भी असमर्थ था। फिर भी मतदान किया था। लेकिन आज मतदान से वंचित होना, मेरी जिदगी का सबसे बड़ा घाव है।
सवाल यह है कि एक तरफ मतदान को ले लोगों को जागरूक किया जा रहा है। लेकिन कर्मियों की लापरवाही से लोकतंत्र के ऐसे जिम्मेवार मतदाता का नाम सूची से हटा दिया गया, जो हर चुनाव में मतदान करता आया है।