Move to Jagran APP

बेबस बहन की सीएम नीतीश से गुहार, मेरे दिव्यांग भाइयों को बचा लीजिए अंकल

एक बेबस बहन ने अपने तीन दिव्यांग भाईयों का दुख-दर्द देखकर सीएम से गुहार लगाते हुए कहा है कि सीएम अंकल मेरे दिव्यांग भाइयों को बचा लें। भाइयों की पीड़ा अब देखी नहीं जा रही है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Thu, 27 Sep 2018 10:42 AM (IST)Updated: Thu, 27 Sep 2018 11:26 PM (IST)
बेबस बहन की सीएम नीतीश से गुहार, मेरे दिव्यांग भाइयों को बचा लीजिए अंकल
बेबस बहन की सीएम नीतीश से गुहार, मेरे दिव्यांग भाइयों को बचा लीजिए अंकल

रोहतास [प्रमोद टैगोर]।  'सीएम अंकल मेरे दिव्यांग भाइयों को बचा लें। भाइयों की पीड़ा अब देखी नहीं जा रही है।' यह कहते हुए फफककर रो पड़ती है 13 वर्षीय मधु। हाथ-पैर से दिव्यांग चलने- फिरने में असमर्थ अपने तीन भाइयों के इलाज के लिए उसे मुख्यमंत्री से उम्मीद बंधी है।

loksabha election banner

तीनों भाई लोगों से करते गुहार

मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण कर रहे रोहतास जिले के संझौली प्रखंड के छुलकार गांव के मधु के पिता देवमुनि सिंह अपनी तीन दिव्यांग संतानों के इलाज को ले विवश हैं। मंतोष 16 वर्ष का है। वह दोनों हाथ व पैर से दिव्यांग है।

12 वर्ष की अवस्था में उसके हाथ-पैर अचानक सूखने लगे और छह माह के अंदर वह पूरी तरह दिव्यांग हो गया। वे बड़े बेटे का इलाज करा ही रहे थे कि 10 वर्षीय धन्तोष के हाथ-पैर भी सूखने लगे, वह भी चलने-फिरने में असमर्थ हो गया। दोनों बेटे के इलाज में जो थोड़ी पुश्तैनी जमीन थी, वह भी बिक गई। स्थिति तब बदतर हो गई, जब छह महीने पूर्व तीसरा बेटा आठ वर्षीय रमतोष भी उसी बीमारी की चपेट में आ गया।

इलाज की उम्मीद लिए टकटकी लगाए दिव्यांग मंतोष व धन्तोष आने-जाने वाले लोगों से पूछते हैं, चाचा जी का हमनीन के ठीक हो जाईब जा ? सीएम या पीएम चाचा लगे हमनीन के बात पहुंचा दीही ना। शायद हम भाईअन के हाथ पैर ठीक हो जाई...। उनके शब्दों को सुन लोगों की आंखें नम हो जाती हैं। 

पीएम आवास भी नहीं मिला

खपरैैल के मकान में किसी तरह इस परिवार का गुजारा होता है। बीपीएल में नाम नहीं होने के कारण प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी नहीं मिला है। घर में शौचालय भी नहीं है। वैसे खाद्य सुरक्षा के तहत इस वर्ष अनाज मिलने लगा है।

तीनों दिव्यांग बेटों की सारी जिम्मेदारी माता-पिता को ही उठानी पड़ रही है। दो भाइयों को दिव्यांग पेंशन मिलती है, पर यह राशि असहनीय पीड़ा झेल रहे परिवार के लिए ऊंट के मुंह में जीरा समान है।  मधु व उसकी मां अनिता देवी इस उम्मीद में हैं कि शायद उसके परिवार को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।

स्वास्थ्य विभाग ने नहीं ली सुध 

एक-एक कर एक ही घर के तीन सगे भाई दिव्यांग होते चले गए।  स्वास्थ्य विभाग को इसकी खबर तक नहीं लगी। दिव्यांगों की स्थिति पोलियो जैसी ही है। यह पोलियो है या नस सूखने की बीमारी?  स्वास्थ्य विभाग अब तक इस गंभीर मसले पर अंजान है।  

सिविल सर्जन डॉ. जनार्दन शर्मा कहते हैं कि यह गंभीर मामला उनके संज्ञान में नहीं है। वैसे 10 वर्ष के बाद सभी बच्चे दिव्यांगता की चपेट में आए हैं। यह पोलियो नहीं हो सकता।  इसकी जांच कराई जाएगी। अगर विभागीय लापरवाही सामने आती है तो कार्रवाई की जाएगी। परिवार अगर बीपीएल में है तो आयुष्मान भारत का लाभ मिलेगा।

योजना का लाभ दिलाएंगे

संझौली के बीडीओ कुमुद रंजन कहते हैं कि परिवार की स्थिति काफी बदतर है। दो दिव्यांग भाइयों को पेंशन मिल रही है। तीसरे की स्वीकृति भी मिल गई है। प्रशासनिक स्तर से जो भी कल्याणकारी योजना होगी, उसे प्राथमिकता के आधार पर लाभ दिया जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.