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तीन दशक से बंद चीनी मिल को खोलने की बढ़ी मांग

पिछले तीन दशक से चीनी मिल पूरी तरह से बंद है। अब सामाजिक कार्यकर्ता प्रभात यादव के नेतृत्व में आंदोलन शुरू किया गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Jun 2021 06:14 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jun 2021 06:14 PM (IST)
तीन दशक से बंद चीनी मिल को खोलने की बढ़ी मांग
तीन दशक से बंद चीनी मिल को खोलने की बढ़ी मांग

पूर्णिया। इलाके के किसान गन्ने की खेती कर खुशहाल रहते थे। उन्हें इससे नकद पैसे मिलते थे जिससे परिवार चलाना आसान होता था। चीनी मील से अन्य रोजगार भी मिल जाता था लेकिन चीनी मील बंद होने से खेती और किसानी दोनों की कमर टूट गयी है और नेताओं के लिए यह सिर्फ चुनावी मुद्दा बनकर रह गया है। यह दर्द बनमनखी के किसानों का है जहां पिछले तीन दशक से चीनी मिल पूरी तरह से बंद है। अब सामाजिक कार्यकर्ता प्रभात यादव के नेतृत्व में आंदोलन शुरू किया गया है। चीनी मिल परिसर में हल्ला बोला गया। सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की गई तथा जल्द से जल्द चीनी मील चालू करने की मांग की गई। मौके पर मौजूद सामाजिक कार्यकर्ता प्रभात यादव ने कहा कि, बनमनखी चीनी मील बंद होने से हजारों की संख्या में लोग बेरोजगार हुए हैं। साथ ही गन्ने की खेती पर आधारित कृषि व्यवस्था ध्वस्त हो गयी है। उन्होंने कहा कि 1967 में बनमनखी चीनी मिल खोला गया लेकिन वह भी सरकारी उदासीनता का शिकार होकर बंद हो गयी है । अनुमंडल का एकमात्र औद्योगिक संस्थान बनमनखी चीनी मील पिछले 30 साल से बंद है। चीनी मील बंद होने से हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं । स्थानीय हजारों लोगों का रोजगार एक झटके में चला गया है। सभी को आज तक मील फिर से खुलने का इंतजार है।जब से चीनी मील बंद हुई तब से यहां के किसानों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। चीनी मील बंद होने का व्यापक प्रभाव यहां के बाजार पर भी पड़ा है। हर चुनाव में चीनी मील का मुद्दा तेजी से उठता रहा है परन्तु चुनाव के बाद पुन: यह मुद्दा ठंडे बस्ते में पड़ जाया करता है। अब तो इस मिल के खुलने की संभावना भी पूरी तरह से क्षीण हो गई है। जानकारी के मुताबिक चीनी मील की 119 एकड़ भूमि को सरकार ने वियाडा को स्थानांतरित कर दिया है। यहाँ का इतिहास जितना पुराना है उतनी ही गहरी समस्याएं भी है। यहां के लोगों के रोजगार का प्रमुख साधन कृषि है लेकिन न तो यहां कृषि आधारित उद्योग लगाए जा सके हैं और न ही किसानों को फसल का उचित मूल्य मिल पाता है। 1967 में यहां बनमनखी चीनी मील खोला गया था लेकिन वह भी सरकारी उदासीनता का शिकार होकर बंद हो गयी। प्रभात यादव ने कहा कि, अगर चीनी मिल चालू नहीं हुआ तो वे हजारों किसान मजदूर के साथ भूख हड़ताल व जन आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता प्रभात यादव, समाजसेवी संजीत कुमार यादव, समाजसेवी सोनू यादव, दीपक यादव, मुकेश स्वर्णकार, रमेश स्वर्णकार आदि लोग उपस्थित थे।

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