संसद के मानसून सत्र में पिछड़ों-दलितों को मिला तोहफा: सांसद
संसद का मानसूत्र सत्र बेहद कामयाब रहा और इसमें पिछड़ों, दलितों व वंचित समुदायों को तोहफा मिला है।
पूर्णिया। संसद का मानसूत्र सत्र बेहद कामयाब रहा और इसमें पिछड़ों, दलितों व वंचित समुदायों को तोहफा मिला है। उक्त बातें सांसद संतोष कुशवाहा ने रविवार को कहीं। सांसद ने कहा कि दशकों से जो काम अटका पड़ा था संसद के मानसून सत्र में वह पूरा हो गया है। संसद में राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग यानि ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा देने वाला संविधान संशोधन (123वां) विधेयक 2017 पास हो गया जो देश के पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए बड़ा तोहफा है। सांसद ने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकारों ने पिछड़ों और दलित समुदायों के साथ न्याय नहीं किया। दशकों तक वोट बैंक के लिए इस्तेमाल करने के बावजूद कांग्रेस ने देश के इस बड़े तबके के हितों की रक्षा के बारे में नहीं सोचा। कांग्रेस की वजह से राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का मसला 27 सालों तक अटका रहा। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जब केंद्र में एनडीए की सरकार बनी तो राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग की सुध ली गई। लेकिन कांग्रेस ने यहां भी षडयंत्र रचकर राज्यसभा में इस बिल को रोका वरना ये बिल कई महीने पहले ही पास हो जाता। आयोग न सिर्फ पिछड़े वर्गों के सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक विकास की रूपरेखा तय करेगी बल्कि राज्यों में आरक्षण संबंधी अधिकार भी तय करेगी। उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्गों में भी करीब 60 फीसद जातियां ऐसी हैं जिनकी हालत दलित समुदायों से भी बदतर है। उन्होंने उम्मीद जताई कि राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद पिछड़ों के आरक्षण को लेकर मौजूदा तमाम विसंगतियां दूर हो सकेंगी। सांसद ने राज्यसभा के उप सभापति पद पर जेडीयू के सांसद हरिवंश नारायण ¨सह के चयन पर हर्ष व्यक्त किया। कहा कि हरिवंश नारायण ¨सह जेडीयू के बेहद संवेदनशील सांसदों में से एक हैं और उनके जैसे सरल स्वभाव वाले सांसद को राज्यसभा का उप सभापति चुनकर सदन ने शानदार फैसला लिया है। उन्होंने उप सभापति चयनित होने पर उन्हें बधाई भी दी।