सड़कों पर वाहनों की भरमार, यातायात पुलिस बेबस व लाचार
पूर्णिया। बढ़ती आबादी और वाहनों की भरमार के बीच यातायात पुलिस की चुनौती भी बढ़ रही ह
पूर्णिया। बढ़ती आबादी और वाहनों की भरमार के बीच यातायात पुलिस की चुनौती भी बढ़ रही है। संसाधन के अभाव में यातायात विभाग बेबस और लाचार बनी हुई है। यातायात विभाग के आधुनिकीकरण का कार्य लंबित पड़ा है। घोषणा के बाद भी मॉडर्न थाना अबतक अस्तित्व में नहीं आया है। अबतक यातायात पुलिस के पास अपना कार्यालय तक नहीं है। शहर में कहीं भी सिग्नल सिस्टम अबतक नहीं लगाया गया है। स्पीड जांचने वाली मशीन आदि तो दूर की बात है। होमगार्ड जवानों से ही काम चल रहा है। ऐसे में अब जब गाड़ियों की संख्या काफी बढ़ गई है ऐसे में यातायात पुलिसिग की जिम्मेदारी महज कुछ माह के प्रशिक्षण प्राप्त कर्मियों के कंधे पर है। पर्याप्त संख्या में यातायात पुलिस बल भी कमी है।
होम गार्ड से ही चल रहा है काम -:
जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग और स्टेट हाईवे का जाल है। प्रत्येक दिन नए वाहन की संख्या की बढ़ रही है। शहर के विकास के साथ आधुनिक यातायात पुलिसिग समय की मांग की है। आरएन शाह चौक पर छोटे से कमरे में यातायात थाना से यातायात का नियंत्रण होता है। अबतक अपना एक थाना भी नहीं मिल पाया है। सब इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी को प्रभारी बनाया गया है। यातायात से निपटने के लिए 76 पुलिस कर्मी हैं जिसमें 72 होमगार्ड ही है। प्रतिवर्ष औसतन 40 हजार नए वाहनों का पंजीकरण होता है। इसमें करीब 20 फीसद वाहन कमर्शियल है बाकि नन कर्मिसियल हैं। शहरी क्षेत्र में 63 सिपाही विभिन्न चौक -चौराहे पर यातायात नियंत्रण के लिए तैनात किया जाता है। जीरो माइल, नेवालाल चौक, मरंगा मोड़, रामबाग चौक, सिटी पुलिस, खुश्कीबाग में तैनाती नियमित नहीं किया जा सका है। 50 से अधिक प्रशिक्षित कर्मियों की अभी विभाग को आवश्यकता है। शहर के लाइन बाजार चौराहे, गिरजा चौक, मधुबनी बाजार, आस्था मंदिर, खीरू चौक, कटिहार मोड़ में यातायात पुलिस की तैनाती होती इसके बावजूद जाम की समस्या बनी हुई रहती है और लोग हेलमेट बिना पहने घुम रहे हैं। रोक कर जांच में करने में तुरंत जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
परिवहन कार्यालय में दलालों का कब्जा -:
परिवहन कार्यालय ड्राइविग लाइसेंस बनाना काफी मुश्किल कार्य है।कार्यालय में दलालों का कब्जा है। भीड़ होने के कारण कागजी प्रक्रिया इतनी मुश्किल है कि लोग दलाल के चक्कर में फंस जाते हैं। अंदर से बाहर तक ऐसे लोगों का दबदबा है। कोई आम व्यक्ति अगर स्वयं कतार में लग कर काम करना भी चाहे आसानी से यह संभव नहीं है। लोग तंग आकर दलालों के शरण में चले जाते हैं।
यातायात विभाग के संसाधन का भी अभाव है -:
यातायात पोस्ट में कहीं भी ट्रेफिक सिग्नल नहीं लगा हुआ है। यातायात पुलिस इशारे से ही काम करती है। अगर कोई नियम का उल्लंघन कर निकल भी जाता है तो उसको बेबस देखते रहने के अलावा पुलिस कर्मी के पास कोई चारा नहीं होता है। उसको रोकने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती करनी होगी। स्पीड जांचने समेत कई तरह के संसाधन नहीं है। वाहनों की कमी के कारण यातायात पुलिस गश्त भी नहीं कर पाती है। शाम के बाद सभी चौक पर पुलिस कर्मी की तैनाती भी नहीं हो पाती है।