समाज को व्यवस्थित करने वाला सरपंच का पद हासिये पर चिता का विषय
पूर्णिया। समाज को व्यवस्थित करने वाला सरपंच पद आजादी के 74 साल बाद भी हासिये पर क्यों रखा गया
पूर्णिया। समाज को व्यवस्थित करने वाला सरपंच पद आजादी के 74 साल बाद भी हासिये पर क्यों रखा गया है, यह चिता का विषय है। उक्त बातें विजय मोहनपुर पंचायत के सामाजिक कार्यकर्ता गौतम कुमार गुप्ता ने कही। उन्होंने सरपंच के पद को हासिये पर रखने पर चिता जताते हुए कहा कि जिस पद से समाज व्यवस्थित हो सकता है। आश्चर्य है उसे ही सरकार ने हासिए पर रख छोड़ा है। प्रखंड में कहीं भी कोई ऐसा न्याय भवन नहीं बन पाया है। सरपंच एवं पंच दरवाजे-दरवाजे अपना न्याय देने को विवश हैं। जबकि सच्चाई यह है कि वर्तमान में लोगों के बीच खासकर जमीनी विवाद अपने चरम पर है। प्रतिदिन कहीं न कहीं से जमीन विवाद में झंझट की खबरें आना आम बात है। लोग सरपंच के पास जाते हैं परंतु वहां उचित व्यवस्था नहीं रहने के कारण लोगों को निराश हाथ लग रही है। ठीक वैसे ही सभी पंच भी जगह के अभाव में नहीं पहुंच पाते हैं। अगर ग्राम कचहरी को सरकार सुदृढ़ कर दें तो निश्चित ही अधिकांश मामले पंचायत में ही सुलझ जाएंगे। लोगों को आर्थिक एवं मानसिक परेशानी से मुक्ति मिल जाएगी। इससे न्यायालय एवं पुलिस को भी कम परेशानी होगी। सरकार ने सरकार भवन बनाने का निर्णय लिया है तथा इस प्रखंड में बसंतपुर पंचायत में सरकार भवन बन गया है। ठीक इसी तरह टीकापटी में भी इसका निर्माण हो रहा है परंतु अन्य 18 पंचायतों में अभी तक जमीन के अभाव में ऐसा संभव नहीं हो पाया है। यद्यपि सरकार भवन के लिए कम से कम 40 डिसमिल जमीन की जरूरत होती है जो अब नहीं मिल रही है। ऐसी परिस्थिति में छोटी सी सरकारी जगहों पर ग्राम कचहरी बनाया ही जा सकता है। वैसे सरपंच भी चाह लें तो, वे अपनी सुदृढ़ व्यवस्था कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें सरपंच बनने का मौका मिला, तब वे निश्चित ही इस संबंध में जोरदार आवाज उठाएंगे। लोगों को सरकार के भरोसे नहीं छोड़ेंगे बल्कि वे अपनी ओर से हर सुविधा लोगों को देने का प्रयास करेंगे। उन्होंने सरकार से अपील की कि वह हर जगह ग्राम कचहरी भवन का निर्माण करे तथा न्याय व्यवस्था को सुदृढ़ करें।