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सरहद के सिपाही बन युवा धो रहे गांव पर लगा कलंक

एनएच 107 के किनारे जिला मुख्यालय से महज 21 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित सरसी नाम जिले में पहचान को मोहताज नहीं है। सुंदर अतीत व रक्त रंजित वर्तमान दोनों की कारणों से लोगों की जुबान पर इस गांव ने अपना स्थान बना लिया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 08:05 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 09:29 PM (IST)
सरहद के सिपाही बन युवा धो रहे गांव पर लगा कलंक
सरहद के सिपाही बन युवा धो रहे गांव पर लगा कलंक

जागरण संवाददाता, पूर्णिया। एनएच 107 के किनारे जिला मुख्यालय से महज 21 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित सरसी नाम जिले में पहचान को मोहताज नहीं है। सुंदर अतीत व रक्त रंजित वर्तमान दोनों की कारणों से लोगों की जुबान पर इस गांव ने अपना स्थान बना लिया है। इन दोनों धाराओं के विपरीत यहां के युवाओं के मन में पलने वाले सपनों ने इस गांव को अलग पहचान दी है। अब भी दो दर्जन से अधिक युवा सेना में कार्यरत हैं और कई अब सेवानिवृत हो चुके हैं। यह क्रम लगातार जारी है। गांव के काफी संख्या में युवा लगातार इस तैयारी में भी जुटे हैं और उनका भी एक मात्र अरमान सेना में बहाली का है। अल सुबह से ही यहां मैदान सहित सड़कों पर युवाओं की दौड़ शुरु हो जाती है। इस जरिए गांव में लगा कलंक भी धो रहे हैं।

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लगभग दो किलोमीटर लंबाई में फैले इस गांव के युवाओं ने सैन्य सेवा को प्राथमिकता सूची में रखकर अपने गांव की तस्वीर भी बदली है। साथ ही गांव पर अपराध के कारण लगा कलंक भी बहुत हद तक धोया है। यहां के एक युवा सत्य कुमार सिंह अपनी सेवा के दौरान शहीद भी हुए हैं। गांव में उनका स्मारक भी बना है और उक्त स्मारक युवाओं को सैन्य सेवा के प्रति भयभीत करने की बजाय उनके लिए प्रेरणा का स्त्रोत साबित हो रहा है। सैन्य सेवा में मौजूद बग्घा सिंह, अमित सिंह, अनिकेत सिंह सहित कई अन्य युवाओं ने कहा कि यह कैरियर के साथ देश सेवा का सुनहला मौका होता है। इस सेवा में जाने के बाद उन लोगों को लगा कि जीवन सार्थक हो गया है। इस तरह के कई अन्य उदाहरण गांव में मौजूद हैं। हाल में भी दो लड़कों का चयन सेना में हुआ है। हर वर्ष किसी न किसी को इसमें सफलता मिलती है।

कभी प्रथम राष्ट्रपति भी आए थे गांव

सरसी गांव का अतीत काफी गौरवशाली रहा है। स्वतंत्रता संग्राम में भी इस गांव के लोगों ने अहम भूमिका निभाई थी। इसी गांव के वासी सह स्वतंत्रता सेनानी स्व. नरसिंह नारायण सिंह कभी प्रमंडल में सेनानियों की अगुवाई दस्ता में शामिल रहे थे। यही नहीं स्वतंत्रता संग्राम में गांव की अहम भूमिका के चलते कभी यहां प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद का आगमन भी यहां हुआ था। इसके निशां अब भी इस गांव के लोगों को गौरवान्वित कर रहा है।


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