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कालाजार रोग के लिए जिले के सात गांव हॉट स्पॉट

पूर्णिया: निर्धारित समय सीमा के अंदर विभाग कालाजार उन्मूलन में नाकाम रहा है। निर्धारित वर्ष 2

By JagranEdited By: Published: Sat, 28 Apr 2018 12:30 AM (IST)Updated: Sat, 28 Apr 2018 12:30 AM (IST)
कालाजार रोग के लिए जिले के सात गांव हॉट स्पॉट
कालाजार रोग के लिए जिले के सात गांव हॉट स्पॉट

पूर्णिया: निर्धारित समय सीमा के अंदर विभाग कालाजार उन्मूलन में नाकाम रहा है। निर्धारित वर्ष 2017 तक उन्मूलन का कार्य संपन्न नहीं किए जाने के बाद इसके लिए 2018 निर्धारित किया गया है। इसके लिए विशेष कार्ययोजना पर विभाग काम कर रहा है। लक्ष्य हासिल करने के लिए विभाग ने

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जिले में छह प्रखंडों के सात गांवों को कलाजार के लिए हॉटस्पॉट के तौर पर चिन्हित किया है। जिस गांव में पांच या उससे अधिक कलाजार के मामले प्रकाश में आते हैं उस इलाके को हॉटस्पॉट घोषित किया जाता है। उन इलाकों में घर-घर जांच और खोज अभियान चलाया जा रहा है।

जिला वैक्टर जनित रोग पदाधिकारी डॉ सीएम ¨सह का कहना है कि जिले में अधिकांश क्षेत्रों प्रति दस हजार एक या उससे काम तक पहुंचाने में कामयाबी मिली है। कुछ इलाके अभी भी चुनौती बने हुए हैं। पांच या उससे अधिक कलाजार बुखार के मामले सामने आने के बाद उस गांव को अतिसंवेदनशील घोषित कर घर-घर अभियान चलाया जाता है। वहां प्रत्येक व्यक्ति जिन्हे बुखार आ रहा है उसकी खून के नमूने की जांच की जाती है। उन्होने बताया कि वैसे इलाके में स्वयं टीम के साथ दौरा करते हैं। जांच के साथ रोग से बचाव के लिए भी जागरूक भी किया जाता है।

अतिसंवेदनशील गांवों में पूर्णिया पूर्व के हाजीरगंज, महराजगंज, धमदाहा के विशनपुर गांव, बीकोढ़ी के चिकनी, जलालगढ़ के मिस्त्रीनगर, केनगर के रामपुर, रूपौली के मैयनी संथाली गांव शामिल हैं। शुक्रवार को डॉ सीएम ¨सह के नेतृत्व में पूर्णिया पूर्व के महराजगांव टीम गई। उनके साथ राजेश गोस्वामी सहित आधा दर्जन विभाग फिल्ड वर्कर, एएनएम और अन्य कर्मी साथ थे। डॉ सीएम ¨सह का कहना है कि चिन्हित सात गांवों में बुखार से पीड़ित लोगों का चेकअप के दौरान बुखार की हिस्ट्री आदि सभी बातों को विस्तार से नोट किया जाता है। जरूरत पड़ने पर खून के नमूने का भी संग्रह कर जांच किया जाता है। साथ ही ऐसे इलाकों में नियमित छिड़काव का काम भी अन्य इलाकों के साथ विशेष तौर पर किया जाता है। इस दौरान कोशिश होती है कि इन इलाकों में एक भी घर नहीं छूटे। दरअसल अतिसंवेदनशील इलाके में विभाग युद्ध स्तर काम कर रहा है। कालाजार बालू मच्छर के काटने से होता है। इसके लिए एचपी छिड़काव का काम भी चल रहा है। जिले में साल दर साल कालाजार के मामले में कमी जरूर हो रही है लेकिन कुछ इलाके अभी भी विभाग के लिए चुनौती बने हुए हैं। इससे निपटने के लिए विभाग विशेष कार्य योजना पर काम कर रही है।


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