मइया बदलती हैं लोगों का भाग्य, बदल-बदलकर लगता है भोग
पूर्णिया। स्थानीय बाड़ीहाट मोहल्ले की लक्ष्मी मइया लोगों का भाग्य बदल देती हैं। लोगों का यह
पूर्णिया। स्थानीय बाड़ीहाट मोहल्ले की लक्ष्मी मइया लोगों का भाग्य बदल देती हैं। लोगों का यह विश्वास 71 वर्र्षो से लक्ष्मी मंदिर में परवान चढ़ रहा है। 1948 से शुरू हुई पूजा की परंपरा इस साल 72वें वर्ष भी श्रद्धा-भक्ति से जारी है। मिट्टी की प्रतिमा स्थापित शरद पूर्णिमा के दिन प्राण-प्रतिष्ठा की जाती है पांच-छह दिनों तक विशेष पूजा-अर्चना होती है जिसमें प्रतिदिन बदल-बदलकर भोग लगाया जाता है।
छह दिनों तक होगी पूजा
इस मंदिर में भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और सरस्वती तथा गणेश एवं कार्तिक की मिट्टी की प्रतिमा बनाई जाती है। 13 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा के दिन शाम पांच बजे प्राण-प्रतिष्ठा उपरांत पूजा शुरू हुई। प्रतिदिन सुबह आठ बजे से पूजा होती है शाम 07-08 बजे तक प्रसाद वितरण किया जाता है। 18 अक्टूबर को सुबह पूजा बाद दोपहर 12.30 बजे पुष्पांजलि और एक बजे हवन होगा। यहां विसर्जन से पूर्व कन्या और ब्राह्माण भोजन कराया जाता है। 11 ब्राह्माण और 51 कन्या भोजन के बाद विसर्जन के लिए शाम चार बजे शोभायात्रा निकाली जाएगी। कंधे पर माता की प्रतिमा को लेकर विसर्जन की यहां की परंपरा है।
होती है कई प्रतियोगिताएं
मेला समिति के उप कोषाध्यक्ष दीपक साह ने बताया कि इस दौरान यहां कई तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। इस वर्ष पेप्पी पीए जाओ, कैरमबोर्ड, साइकिल स्लो रेस, म्यूजिकल चेयर, चित्रकला, मटकाफोड़ आदि की प्रतियोगिताएं होती हैं।
आज होगी मटकाफोड़ प्रतियोगिता
खेल प्रभारी पंकज कुमार ने बताया कि म्यूजिकल चेयर में अंशु कुमार प्रथम, नीतीश द्वितीय और शिवम ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। चित्रकला के वर्ग 1-4 ग्रुप में स्नेहलता प्रथम तथा श्रेया गुंजन एवं ईशिका सिंह क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे जबकि वर्ग 5-10 ग्रुप में महिमा आर्य प्रथम, पीयूष कुमार दूसरे और प्रिया कुमारी तीसरे स्थान पर रही। साइकिल स्लो रेस में शिवम ने 43.11 सेकेंड में 50 मीटर की दूरी तय कर यह खिताब अपने नाम किया। पेप्सी पीए जाओ प्रतियोगिता में 250 मिली का कोल्ड ड्रिंक्स गौरव ने 38 सेकेंड, अंकित ने 42 सेकेंड और पीयूष ने 42.04 सेकेंड में पीकर क्रमश: पहला, दूसरा और तीसरा स्थान पाया। बताया कि गुरुवार की दोपहर 12 से मटकाफोड़ प्रतियोगिता की शुरूआत होगी। यहां आंख पर पट्टी बांधकर डंडे से मटका फोड़ना होता है।
हर दिन प्रसाद बदलकर माता को लगाया जाता है भोग
पूजा के दौरान प्रतिदिन बदल-बदलकर भोग लगाया जाता है। पहले दिन खीर का भोग लगाया गया, दूसरे दिन हलुआ-पूड़ी, तीसरे दिन खीर बुनिया शकरवाला, चौथे दिन बुधवार को खिचड़ी का भोग लगाया गया। इसमें 131 किलो चावल, छह सौ किलो सब्जी और 50 किलो दाल की खिचड़ी तैयार की गई थी। पांचवे दिन गुरुवार को मीठा पुलाव का भोग लगाया जाएगा और विसर्जन के दिन फल, मिठाई आदि का भोग लगाया जाता है।
गठित है पूजा समिति
पूजा और मेले के संचालन के लिए गठित समिति के अध्यक्ष मनोज कुमार अग्रवाल हैं। हरदेव मेहता उपाध्यक्ष, वार्ड पार्षद वार्ड नंबर 21 अमित कुमार सचिव, रविश चंद्र पाडेय कोषाध्यक्ष, अंकेक्षक सुबीर सर और मंजीत कुमार के अलावा शांति समिति, स्वागताध्यक्ष और सक्रिय सदस्यों की भी टीम है।
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लिट्टी के साथ चोखा नहीं चटनी है विशेषता
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-1960 से मेले में चलती है यह लिट्टी की दुकान
-सात भाई चार कर्मी के साथ संभालते हैं अपने दादाजी की विरासत
जागरण संवाददाता, पूर्णिया : बाड़ीहाट लक्ष्मी पूजा मेला जहां अपनी 72वीं वर्षगांठ मना रहा है वहीं इस मेले में एक लिट्टी की दुकान 1960 से लगाई जा रही है। कभी इस दुकान के संचालक अवध नारायण गुप्ता हुआ करते थे आज भले ही वे नहीं हैं लेकिन उनके सात पोते चार कर्मियों के साथ इस विरासत को संभाले हुए हैं। इस दुकान पर उमड़ी खासकर युवाओं की भीड़ दुकान की लोकप्रियता में चार चांद लगाते हैं। अमूमन लिट्टी के साथ चोखे वाला मीनू यहां नहीं है बल्कि चटनी यहां की विशेषता है।
लोगों की मांग पर लगाते हैं दुकान
दुकान के संचालक संजीव कुमार गुप्ता बताते हैं कि उनके दादाजी 1960 में मेले में इस दुकान की शुरुआत की थी। उनके बाद पिताजी अजय गुप्ता ने इस परंपरा को आगे बढ़ाया और अब लोगों की विशेष मांग पर वे सात भाई विरासत में मिली लोकप्रियता को बढ़ाने के प्रयास में लगे हैं। बताया कि वे अपने छोटे भाई छोटू, मोनू, भोलू, सूरज, बौआ और राजीव के साथ मेले में पांच दिनों तक दुकान चलाते हैं। इसके लिए चार कर्मी को भी रखा जाता है। बताया कि छोटू, मोनू और सूरज पीजी की पढ़ाई कर रहे हैं लेकिन दुकान संचालन में निश्चित रूप से भाग लेते हैं। सिर्फ लक्ष्मी पूजा में दुकान लगाई जाती है बाद में भाई लोग अपनी पढ़ाई में लगे रहते हैं।
कीमत भी है कम
संजीव बताते हैं कि लिट्टी की कीमत भी कम है। दस रुपये में चार लिट्टी दी जाती है। बताया कि सबसे अधिक ग्राहक 17-25 वर्ष आयु वर्ग के लोग होते हैं। खासकर जो युवा मेले में आते हैं वे बिना लिट्टी खाये नहीं जाते हैं। लोग पैक करवाकर घर भी ले जाते हैं।
बहरहाल मेले में लिट्टी की दुकान पर भीड़ है तो उड़द वाली जलेबी भी लोगों को खूब भा रही है। गरम-गरम छोले पर जहां लोग टूट पड़ते हैं वहीं फास्ट फूड के ठेलों पर भी लोगों की लाइन लगी रहती है। पानी पूड़ी युवतियों की खास पसंद रहती है तो बच्चे बिना बैलून लिए मेले से नहीं लौटते हैं। मेले में तरह-तरह की अन्य दुकानें भी लगाई गई हैं जहां लोगों की भीड़ लगी रहती है। शाम होते ही लाइट से जगमग यह मेला और माता का मंदिर अनुपम छटा बिखेरता है।